मतदाताओं को धोखा नहीं दिया जा सकता: तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा
सुरेश माधव
- 10 Sep 2025, 09:50 PM
- Updated: 09:50 PM
नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मतदाताओं को धोखा नहीं दिया जा सकता, भले ही वे अनपढ़ किसान हों या डॉक्टरेट डिग्री धारक, क्योंकि वे लोकतंत्र में नेताओं को हरा भी सकते हैं और उनकी जीत भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
मेहता की यह टिप्पणी ‘राष्ट्रपति के संदर्भ’ पर नौवें दिन की सुनवाई के दौरान आई।
न्यायालय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भेजे गए 14 प्रश्नों की पड़ताल कर रहा है, जिनमें यह भी शामिल है कि क्या संवैधानिक प्राधिकारी विधेयकों पर अनिश्चित काल तक स्वीकृति रोक सकते हैं और क्या न्यायालय राज्यपालों एवं राष्ट्रपति को अनिवार्य समय-सीमा के भीतर निर्णय लेने को कह सकते हैं।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
मेहता ने कहा, ‘‘मतदाता बहुत समझदार होते हैं... चाहे वे डॉक्टरेट डिग्री धारक हों या अनपढ़ किसान। किसी को भी धोखा नहीं दिया जा सकता और यही हमारे लोकतंत्र की ताकत है। मुझे इस पर हमेशा गर्व होता है।’’
उन्होंने आगे कहा, "मैं कोई राजनीतिक तर्क नहीं दे रहा, (लेकिन) जब श्रीमती गांधी ने आपातकाल लगाया तो.... सच तो यह है कि जनता ने उन्हें सबक सिखाया। न सिर्फ़ पार्टी हारी, बल्कि वह ख़ुद भी हार गईं, उनकी सरकार गिर गई... फिर जनता पार्टी सत्ता में वापस आ गई। फिर उन्हीं मतदाताओं ने तीन साल के भीतर उन्हें (इंदिरा गांधी को) भारी बहुमत से दोबारा सत्ता में बिठाया। यही हमारे लोकतंत्र की ताकत है।’’
मेहता का यह जवाब राजनीति और चुनाव लड़ने को लेकर विपक्ष की टिप्पणियों के जवाब में था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं उठा रहा हूं।’’
कई राज्यों ने राष्ट्रपति के संदर्भ का विरोध किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब कुछ नाम आते हैं, तो वह हमेशा राजनीतिक नहीं होता। मैं कह रहा हूं कि यही हमारे लोकतंत्र की ताकत है। हमारे यहां कुछ विचलन हो सकता है। हो सकता है कि हमारे कुछ राज्यपाल अपेक्षा के अनुरूप अपने कार्य न निभा पाएं, लेकिन अनुभवजन्य आंकड़ों के अनुसार, इन तमाम वर्षों में अधिकांश राज्यपालों ने अपेक्षित रूप से, सहयोगात्मक तरीके से, कार्य किया है।’’
इसके बाद विधि अधिकारी ने केंद्र और राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों और सहयोगात्मक कार्यों का उल्लेख किया।
मेहता ने कहा, ‘‘सबसे अच्छा उदाहरण कोविड के दौरान था। एक या दो राज्यों को छोड़कर... मैं उनका नाम नहीं लूंगा... सभी राज्य, चाहे उनके मुख्यमंत्री कांग्रेसी हों या कम्युनिस्ट, एक ही तरह से सोच रहे थे। वे (सभी) सीधे प्रधानमंत्री के संपर्क में थे और एक राष्ट्र के रूप में इस संकट से लड़ रहे थे।’’
भाषा सुरेश