गुजरात विधानसभा ने कारखानों में दैनिक पाली का समय बढ़ाकर 12 घंटे करने वाला विधेयक पारित किया
शफीक अविनाश
- 10 Sep 2025, 06:49 PM
- Updated: 06:49 PM
गांधीनगर, 10 सितंबर (भाषा) गुजरात विधानसभा ने बुधवार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध के बीच भाजपा विधायकों के समर्थन से औद्योगिक कार्य पाली को मौजूदा नौ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे प्रतिदिन करने संबंधी संशोधन विधेयक को पारित कर दिया।
कारखाना (गुजरात संशोधन) विधेयक 2025, जो कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन करता है, महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ शाम सात बजे से सुबह छह बजे के बीच रात्रि पाली में काम करने की अनुमति देता है।
जुलाई में जारी अध्यादेश का स्थान लेने वाला यह विधेयक बहुमत से पारित हो गया, हालांकि विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कारखाना श्रमिकों के लिए संशोधित कार्य घंटों का विरोध किया।
विधेयक पेश करते हुए उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है ताकि अधिक आर्थिक गतिविधियां और रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।
काम के घंटों में वृद्धि और श्रमिकों के शोषण से संबंधित चिंताओं को दूर करते हुए राजपूत ने स्पष्ट किया कि सप्ताह में कुल कार्य घंटे 48 घंटे से कम ही रहेंगे।
मंत्री ने कहा, ‘‘इसका मतलब यह है कि यदि श्रमिक चार दिन 12 घंटे काम करते हैं और 48 घंटे का काम पूरा करते हैं तो उन्हें शेष तीन दिन के लिए सवेतन अवकाश मिलेगा।’’
कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि यह संशोधन श्रमिकों का शोषण है, जो सरकार के मजदूरों के वित्तीय सशक्तीकरण के दावे के विपरीत है।
उन्होंने कहा, ‘‘वैसे भी, वे (श्रमिक) पहले से ही 11 से 12 घंटे काम कर रहे हैं, क्योंकि नौ घंटे की पाली के नियम का पालन नहीं किया जाता। अगर आप इसे बढ़ाकर 12 घंटे कर देंगे, तो मजदूरों को 13 से 14 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’’
मेवाणी ने दावा किया कि काम के बढ़े हुए घंटे श्रमिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे क्योंकि इसके कारण वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाएंगे।
आप विधायक गोपाल इटालिया ने दावा किया कि यह विधेयक मजदूरों के नहीं, बल्कि कारखाना मालिकों के हित में लाया गया है।
इटालिया ने कहा, ‘‘अध्यादेश लाने की क्या आपात स्थिति थी? क्या मजदूरों या यूनियन ने आपसे संपर्क करके काम के घंटे बढ़ाने की मांग की थी? नौकरी सुरक्षा प्रावधान के बिना, सहमति प्रावधान का कोई मतलब नहीं है क्योंकि अगर मजदूर 12 घंटे काम करने से इनकार करते हैं तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा। इस बात का ठोस आश्वासन दिया जाना चाहिए कि किसी की नौकरी नहीं जाएगी।’’
भाषा
शफीक