राजस्थान विधानसभा ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक को पारित किया
पृथ्वी सुरभि
- 09 Sep 2025, 08:37 PM
- Updated: 08:37 PM
जयपुर, नौ सितंबर (भाषा) राजस्थान विधानसभा ने धर्मांतरण विरोधी (राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025) मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक के माध्यम से धोखे, छल कपट, प्रलोभन आदि से धर्मांतरण को निषेध किया गया है।
गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि यह विधेयक राज्य में समरसता को बनाए रखने और सुरक्षित भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति हमेशा से उदार रही है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है, लेकिन इसमें धोखे, प्रलोभन, भय और छल कपट से धर्म परिवर्तन करवाने का कहीं भी समर्थन नहीं किया गया है।
मंत्री विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। बेढ़म ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भी कहा था कि धर्म व्यक्तिगत विषय है लेकिन इसका सामाजिक अव्यवस्था फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है लेकिन बलपूर्वक एवं प्रलोभन से धर्मांतरण करने का हक किसी को नहीं है।
बेढ़म ने कहा कि भारत के धार्मिक ग्रंथों में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि ऐसा कोई कार्य नहीं किया जाना चाहिए जिससे धर्म की हानि होती हो। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से धोखे, छल कपट, प्रलोभन आदि से धर्मांतरण को निषेध किया गया है। समाज में शांति एवं सद्भाव बनाने के लिए यह एक उचित कदम है।
बेढ़म ने कहा कि सुनियोजित रूप से धर्मांतरण करने वाले लोग समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाते रहे हैं। इस प्रकार की मानसिकता वाले लोगों द्वारा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, शोषितों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों एवं महिलाओं को विशेष रूप से लक्ष्य बनाया जाता है।
गृह राज्य मंत्री ने कहा कि धोखे से धर्म परिवर्तन करवाना पीड़ित व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
विधेयक के अनुसार छल कपट से धर्म परिवर्तन करने पर सात से 14 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकेगा। साथ ही, न्यूनतम पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। अल्प वयस्क, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजन आदि को कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन करवाने पर न्यूनतम 10 से लेकर 20 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकेगा। साथ ही, न्यूनतम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। कपटपूर्ण तरीकों से सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यक्तियों को न्यूनतम 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी। साथ ही, उन पर न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
इसके अनुसार, धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी एवं अवैध संस्थाओं से धन प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को न्यूनतम 10 से 20 वर्ष तक के कठोर कारावास से दंडित किया जा सकेगा। साथ ही, न्यूनतम 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। धर्म परिवर्तन करवाने के लिए किसी व्यक्ति को जीवन, संपत्ति के लिए धमकाने वाले, झांसा देकर विवाह करने, बेचकर दुर्व्यापार करने या इस निमित्त दुष्प्रेरित करने वाले व्यक्तियों को न्यूनतम 20 वर्ष लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी। साथ ही, न्यूनतम 30 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
इसी तरह जबरन धर्म परिर्वतन के लिए पूर्व में दोषी सिद्ध हो चुके व्यक्ति की इसी अपराध के लिए पुनः दोष सिद्धि होने पर न्यूनतम 20 वर्ष लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी। साथ ही, न्यूनतम 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, जिन संपत्ति का उपयोग जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के लिए किया गया है उनकी जब्ती की जा सकेगी। विधेयक के अनुसार विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन करवाने के उद्देश्य से किया गया विवाह फैमिली कोर्ट या इस विधेयक में निर्धारित अन्य सक्षम अदालत द्वारा निरस्त किया जा सकेगा।
नए विधेयक के अंतर्गत धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को जिलाधिकारी या उनके द्वारा अधिकृत अतिरिक्त जिलाधिकारी के समक्ष स्वेच्छा से एवं बिना किसी दवाब के धर्म परिवर्तन करने की जानकारी 90 दिन पहले देनी होगी। ऐसा नहीं करने की स्थिति में न्यूनतम सात से 10 वर्ष तक की कारावास की सजा हो सकेगी।
साथ ही, न्यूनतम तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। धर्म परिवर्तन करवाने वाले धर्माचार्य को जिलाधिकारी अथवा उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी के समक्ष धर्म परिवर्तन का नोटिस दो माह पहले देना होगा। उल्लंघन की स्थिति में न्यूनतम 10 से 14 वर्ष तक की सजा हो सकेगी तथा न्यूनतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
भाषा पृथ्वी