जीएसटी सुधार से खपत बढ़ेगी, राजस्व में आएगी कमी: मूडीज
रमण अजय
- 09 Sep 2025, 07:38 PM
- Updated: 07:38 PM
नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी सुधार परिवारों के लिए राजकोषीय नीति समर्थन का एक और रूप हैं और इससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इन सुधारों से सरकार के राजस्व में कमी आएगी।
मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत की प्रभावी जीएसटी दरों में कमी से निजी उपभोग को बढ़ावा मिलने और आर्थिक वृद्धि को ऐसे समय में समर्थन मिलने की संभावना है जब देश उच्च अमेरिकी शुल्क के कारण बाहरी दबावों का सामना कर रहा है।
जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह माल एवं सेवा कर के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया। अब कर की दरें पांच और 18 प्रतिशत होंगी जबकि विलासिता एवं सिगरेट जैसी अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी।
सिगरेट, तंबाकू और अन्य संबंधित वस्तुओं को छोड़कर नई कर दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी। तंबाकू और संबंधित उत्पादों पर 31 दिसंबर तक 28 प्रतिशत कर और क्षतिपूर्ति उपकर लागू रहेगा।
वर्तमान में, जीएसटी पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की दरों पर लगाया जाता है।
मूडीज ने कहा, ‘‘जीएसटी सुधार परिवारों के लिए राजकोषीय नीति समर्थन का एक और रूप है। यह फरवरी में शुरू की गई उच्च आयकर सीमा का पूरक है...। दोनों उपायों का उद्देश्य घरेलू उपभोग को बढ़ावा देना है।’’
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जीएसटी ढांचे में बदलाव से खरीदी और बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर लागू औसत कर दरों में प्रभावी कमी आएगी। इसमें उच्च कर दरों को समाप्त कर दिया गया है और साथ ही कई वस्तुओं के लिए जीएसटी को हटा दिया गया है।
मूडीज ने कहा कि कम कीमतें मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में भी मदद करेंगी।
सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष शुद्ध राजस्व हानि 48,000 करोड़ रुपये (5.4 अरब डॉलर) होगी, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आंकड़ों पर आधारित है।
मूडीज ने कहा, ‘‘फरवरी में वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित कर उपायों, विशेष रूप से आयकर भुगतान के लिए व्यक्तिगत आय सीमा में वृद्धि के साथ, जीएसटी में कर दरों में कमी से राजस्व वृद्धि पर असर होगा।’’
वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान, केंद्र सरकार के स्तर पर सकल कर राजस्व में सालाना आधार पर केवल 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2024-25 की इसी अवधि में 21.3 प्रतिशत की वृद्धि से काफी कम है।
इसी दौरान, केंद्र सरकार के व्यय में 20.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे केंद्र सरकार का घाटा बढ़कर 4,700 अरब रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में यह 2,800 अरब रुपये था।
चूंकि व्यय में यह तेजी संभवतः वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत व्यय में कमी को दूर करने के लिए है, इसलिए हमारा अनुमान है कि अगली दो तिमाहियों में व्यय वृद्धि धीमी रहेगी। इससे राजकोषीय स्तर पर मजबूत रुख को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
भाषा रमण