भारत अपनी मेहनत के बल पर समृद्ध बना है: आदित्यनाथ
अरूनव जफर अमित
- 09 Sep 2025, 07:56 PM
- Updated: 07:56 PM
बस्ती, नौ सितम्बर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि "भारत अपनी मेहनत के बल पर समृद्ध बना है", जबकि विदेशी देश भारत और दुनिया को लूटकर धन-संपत्ति बटोरते रहे।
आदित्यनाथ ने कहा, "(पहले) एक प्रवृत्ति पनपी थी और गुलामी की मानसिकता ने देश को इस तरह जकड़ लिया था कि हर भारतीय को लगने लगा था कि एक भारतीय को नीची नजर से देखा जाना चाहिए, जबकि एक विदेशी को संपन्नता की नजर से देखा जाना चाहिए। आपने देखा होगा कि पिछले 11 वर्षों में इस बुरी प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है।"
आदित्यनाथ ने बस्ती जिले में मंगलवार को सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बसहवा का भूमि पूजन, शिलान्यास, पौधरोपण व पुस्तक का विमोचन भी किया।
एक बयान के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन प्रचारक नाना जी देशमुख के नेतृत्व में सरस्वती शिशु मंदिर की पहली शाखा गोरखपुर में स्थापित की गई थी।
आदित्यनाथ सरस्वती शिशु मंदिर की आधारशिला रखने और उसका भूमिपूजन करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
आदित्यनाथ ने कहा, "जो भारतीय है, वही सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि विदेशियों ने जो कुछ भी अर्जित किया है, वह भारत और विश्व को लूटकर ही किया है। भारत अपनी मेहनत के बल पर समृद्ध बना। ऐसा नहीं था कि भारत समृद्ध देश नहीं था। चार सौ साल पहले, भारत दुनिया की नंबर एक अर्थव्यवस्था हुआ करता था।
उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 25 प्रतिशत था, लेकिन दुर्भाग्य से, जब यह देश 1947 में आजाद हुआ, तो भारत का योगदान केवल दो प्रतिशत रह गया।
उन्होंने कहा, "भारत को लूटा गया, भारत को नोचा गया, भारत की विरासत के प्रतीकों को तोड़ा गया, अपमानित किया गया। भारत और भारतीयों के मन में यह भावना पैदा कर दी गई कि जो भी भारतीय है, वह अच्छा नहीं होगा। परिणामस्वरूप, हमने हिंदी और संस्कृत के बजाय अंग्रेजी को भारतीयता का प्रतीक बनाना शुरू कर दिया। भारत के महापुरुषों के बजाय, हमने भारत में दुनिया के उन लोगों को आदर्श मानना शुरू कर दिया, जो अपने देश में तो नायक हो सकते हैं, लेकिन भारत के नायक नहीं हो सकते।"
उन्होंने कहा कि भारत में अपनी परंपराओं और अपने प्रतीकों से दूर होने का दुष्परिणाम यह हुआ कि धीरे-धीरे भारत के नागरिकों को लगने लगा कि देश अब कभी आजाद नहीं होगा। उन्होंने कहा कि परिणाम यह हुआ कि जिस भारत के सामने दुनिया की कोई ताकत टिक नहीं सकती थी, वह भारत गुलाम हो गया।
उन्होंने कहा कि भारत में किसी चीज की कमी नहीं थी, न तो ताकत की, न धन की, न ही बुद्धि की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के समर्थ, आत्मनिर्भर व शक्तिशाली होने की शुरुआत शिक्षा से होती है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में समृद्धि की चर्चा होती है तो पहला पैरामीटर शिक्षा, फिर स्वास्थ्य, उसके बाद कृषि-जल संसाधन, तब कौशल विकास व रोजगार होता है। उन्होंने कहा कि फिर पर्यावरण को ध्यान में रखकर विकास की बात होती है।
उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम सुयोग्य नागरिकों को गढ़ने, तलाशने और तराशने का महत्वपूर्ण मंच शुरू करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से भारत के सुयोग्य नागरिक विकसित करने का मंच विकसित हो रहा है।
आदित्यनाथ ने कहा कि आज का समय प्रौद्योगिकी का है, इसे हम अपने अनुरूप ढाल सकें, समाज व देश के अनुरूप बना सकें।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोविड काल में पस्त थी, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत कोरोना प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहा था। उन्होंने कहा कि उसी समय भारत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर व सुदूर दक्षिण में जाने पर विद्या भारती द्वारा संचालित कोई न कोई सरस्वती शिशु मंदिर व विद्या मंदिर मिलता है। उन्होंने कहा कि वहां के अध्ययनरत छात्र राष्ट्रीयता के भाव से ओतप्रोत होते हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जो कार्य सरकारों को करना चाहिए, उस दायित्व को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वीकारा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत सभी के जीवन का ध्येय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए विकसित उत्तर प्रदेश, विकसित बस्ती, हर गांव-कस्बे को विकसित बनने की दिशा में प्रयास प्रारंभ करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जो प्रदेश बीमारू व विकास की बाधा कहा जाता था, वही राज्य आठ वर्ष में भारत के विकास का ‘ग्रोथ इंजन’ बन गया है।
भाषा अरूनव जफर