अदालत ने पत्रकारों, अन्य लोगों को अदाणी एंटरप्राइजेज के खिलाफ अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने से रोका
पाण्डेय नोमान अविनाश
- 06 Sep 2025, 11:50 PM
- Updated: 11:50 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कुछ पत्रकारों और अन्य लोगों को फर्म के खिलाफ असत्यापित अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया।
अदालत ने एक अंतरिम आदेश में पत्रकारों और विदेश से जुड़े गैर सरकारी संगठनों को लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये प्रकाशित की गई फर्म के खिलाफ कथित अपमानजनक सामग्री हटाने का भी निर्देश दिया।
वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश अनुज कुमार सिंह वादी (एईएल) के एक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 'परंजॉय डॉट इन', 'अदाणीवाच डॉट ऑर्ग' और 'अदाणीफाइल्स डॉट कॉम डॉट एयू' पर प्रकाशित पोस्ट और वीडियो का मकसद व्यावसायिक समूह की प्रतिष्ठा को धूमिल करना और उसके वैश्विक संचालन को बाधित करना था।
इस मामले में प्रतिवादी परंजॉय गुहा ठाकुरता, रवि नायर, अबीर दासगुप्ता, अयास्कंत दास, आयुष जोशी, बॉब ब्राउन फाउंडेशन, ड्रीमस्केप नेटवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, गेटअप लिमिटेड, डोमेन डायरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और जॉन डो हैं।
अदालत ने कहा, ''प्रथम दृष्टया मामला वादी के पक्ष में है। यहां तक कि सुविधा का संतुलन भी वादी के पक्ष में है, क्योंकि लगातार ऐसे प्रकाशन, री-ट्वीट और ट्रोलिंग से जनता में उसकी छवि खराब हो सकती है।''
इसके बाद, अदालत ने प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक वादी के बारे में असत्यापित, निराधार और प्रत्यक्ष रूप से मानहानिकारक रिपोर्ट प्रकाशित, वितरित या प्रसारित करने से रोक दिया।
अदालत ने कहा, ''जहां तक लेख और पोस्ट गलत, असत्यापित और प्रथम दृष्टया मानहानिकारक प्रतीत होते हैं, तो प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने-अपने लेखों/ सोशल मीडिया पोस्ट/ ट्वीट्स से ऐसी मानहानिकारक सामग्री हटा दें। यदि तत्काल ऐसा करना संभव न हो, तो इस आदेश की तिथि से पांच दिनों के भीतर उन्हें हटा दें।''
अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया मंचों के मध्यस्थों को सूचित किए जाने के 36 घंटे के भीतर इसे हटाने का निर्देश दिया।
अंतरिम निषेधाज्ञा ने प्रतिवादियों को एईएल के बारे में कोई भी असत्यापित या अप्रमाणित बयान देने से भी रोक दिया तथा कंपनी को यह अनुमति दी कि यदि कोई कथित मानहानिकारक सामग्री पाई जाती है तो वे अतिरिक्त लिंक को हटाने के लिए सूचित कर सकें।
हालांकि अदालत ने कहा कि वह ऐसा व्यापक आदेश जारी नहीं कर रही है, जो प्रतिवादियों को निष्पक्ष, सत्यापित और पुष्ट रिपोर्टिंग करने या ऐसे लेख, पोस्ट या ‘यूआरएल’ को उपलब्ध कराने या प्रसारित करने से रोके।
इसने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि इस आदेश का मामले के गुण-दोष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और इसका यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि यह किसी व्यक्ति को आरोपों के संबंध में जांच और अदालती कार्यवाही के बारे में रिपोर्टिंग करने से रोकता है, जब तक कि यह प्रमाणित और सत्यापित सामग्री पर आधारित निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग हो।"
मामले की अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी।
भाषा पाण्डेय नोमान