बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस के कारण हंगामा
रवि कांत रवि कांत नरेश
- 04 Sep 2025, 08:26 PM
- Updated: 08:26 PM
कोलकाता, चार सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में बृहस्पतिवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद जबर्दस्त हंगामा हुआ।
दोनों दलों के विधायकों ने नारेबाजी की और बंगाली प्रवासियों के खिलाफ कथित अत्याचारों के संबंध में सरकार के संकल्प पर चर्चा के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित की। इसके बाद भाजपा के पांच विधायकों को निलंबित कर दिया गया।
हंगामे के कारण सदन में अराजकता फैल गई और मार्शलों ने विधायकों को बाहर खींच लिया, वहीं विधानसभा के अंदर “वोट चोर भाजपा” और “चाकरी चोर (नौकरी चोर) तृणमूल कांग्रेस” जैसे नारे गूंजने लगे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा सदस्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और दोनों पक्षों ने इसे पश्चिम बंगाल के लोकतंत्र के लिए 'काला दिन' बताया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में आरोप लगाया कि भाजपा वोट चुराने में लिप्त है, लेकिन दूसरों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर व्याख्यान देती है।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘भाजपा एक ‘वोट चोर’ है, उन्होंने चुनाव जीतने के लिए लोगों का जनादेश चुराया है।’’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रस्ताव पर बोलने ही वाली थीं कि हंगामा शुरू हो गया। भाजपा विधायकों ने दो सितंबर को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के निलंबन पर सवाल उठाते हुए नारे लगाए जिस पर सत्ता पक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई।
इससे टकराव बढ़ गया, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी का विरोध किया, जिससे विधानसभा की कार्यवाही में कई बार व्यवधान उत्पन्न हुआ।
हंगामा जारी रहने पर विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने अव्यवस्था फैलाने के आरोप में भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष को शेष दिन के लिए विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित कर दिया।
घोष के सदन से जाने से इनकार करने पर विधानसभा के मार्शलों को बुलाया गया और उन्हें सदन से घसीटकर बाहर निकाला गया, जिसका विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया।
बाद में हंगामा बढ़ने पर भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल, मिहिर गोस्वामी, बंकिम घोष और अशोक डिंडा को निलंबित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए 'गंभीर चर्चा को बाधित करने' का भी आरोप लगाया। भाजपा के सदस्य लगातार नारे लगाते रहे, जिससे उनका भाषण बाधित हुआ।
सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस होने से माहौल गरमा गया। दोनों समूहों के बीच किसी भी तरह की हाथापाई को रोकने के लिए मार्शल मौजूद रहे।
हताश ममता बनर्जी ने टोकाटोकी के बीच सवाल किया, ‘‘ भाजपा मुझे सदन में बोलने क्यों नहीं दे रही है? ’’
बाद में उन्होंने कहा, ‘‘वे रावण की तरह , आसुरी शक्तियों की तरह व्यवहार कर रहे थे।’’
एक समय तो तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक भाजपा की बेंचों की ओर बढ़ते देखे गए, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया।
मुख्यमंत्री को हंगामे के दौरान विपक्षी सीटों पर जाने की कोशिश करने के लिए नयना बनर्जी, हुमायूं कबीर और निर्मल घोष सहित अपनी ही पार्टी के कई सदस्यों को फटकार लगाते देखा गया।
हंगामे के बावजूद अध्यक्ष बनर्जी ने सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की तथा निर्धारित कार्यवाही जारी रखने पर अडिग रहे।
भाजपा विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष की ओर से उन पर पानी की बोतलें फेंकी गईं।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर “भाषाई आतंकवाद” को बढ़ावा देने और “बंगाली विरोधी” होने का आरोप लगाया।
ममता ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘ आप बांग्ला भाषा के खिलाफ हैं। हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं। अगर आप सत्ता में होते, तो राष्ट्रगान 'जन गण मन' नहीं होता। आप बांग्ला बोलने वालों को देशद्रोही कहते हैं। जनता आपको माफ नहीं करेगी।’’
बाद में सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए निलंबित भाजपा विधायक शंकर घोष ने अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाया।
शंकर घोष ने कहा, ‘‘अगर वे विपक्ष के नेता या भाजपा विधायकों को सदन में नहीं चाहते हैं, तो हम इसका बहिष्कार करेंगे। लेकिन, अध्यक्ष को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। आज जो हुआ वह बंगाल विधानमंडल के इतिहास का सबसे काला दिन है। ’’
मुख्यमंत्री ने भाजपा विधायकों पर बंगाली प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर गंभीर चर्चा को जानबूझकर विफल करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा नहीं चाहती कि सच्चाई सामने आए। असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वे सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री का भाषण समाप्त होने के बाद भाजपा विधायक दल ने विधानसभा से बहिर्गमन किया।
संकल्प को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, तथा भाजपा सदस्य मतदान से पहले ही सदन से बाहर चले गए।
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