कुकी-जो समूहों ने केंद्र के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए; क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहेगी
वैभव पवनेश
- 04 Sep 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) कुकी-जो समुदाय के दो प्रमुख संगठनों ने बृहस्पतिवार को सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें वे मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने, निर्दिष्ट शिविरों को संवेदनशील क्षेत्रों से स्थानांतरित करने और राज्य में दीर्घकालिक शांति एवं स्थिरता लाने के समाधान पर काम करने के लिए सहमत हुए।
कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) के साथ त्रिपक्षीय ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस’ (एसओओ) समझौते में नए सिरे से शर्तों को निर्धारित किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इससे मणिपुर में शांति के प्रयासों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
कुकी-जो काउंसिल (केजेडसी) ने अलग से राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को खोलने का फैसला किया है जो मणिपुर से होकर गुजरता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले सप्ताह संभावित मणिपुर यात्रा से पहले यह कदम उठाया गया है। यह मई 2023 में मेइती और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद से प्रधानमंत्री का राज्य का पहला दौरा होगा।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पिछले कुछ दिन में मंत्रालय के अधिकारियों और कुकी समूहों के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच कई बैठकों के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाले जाने के बाद तीन मई, 2023 को जातीय हिंसा शुरू हो गई थी।
तब से दोनों समुदायों के सदस्य समेत करीब 260 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि पिछले कुछ महीने से मणिपुर में अपेक्षाकृत शांति है।
केएनओ और यूपीएफ ने सात निर्दिष्ट शिविरों को संवेदनशील क्षेत्रों से स्थानांतरित करने पर भी सहमति जताई। उन्होंने शिविरों की संख्या कम करने, हथियारों को सीआरपीएफ तथा बीएसएफ के निकटवर्ती शिविरों में पहुंचाने पर भी रजामंदी जताई।
यूपीएफ के सात घटक और केएनओ के 16 घटक हैं।
बयान के अनुसार एक संयुक्त निगरानी समूह अब से आधारभूत नियमों के प्रवर्तन पर कड़ी निगरानी रखेगा और भविष्य में उल्लंघनों से सख्ती से निपटा जाएगा, जिसमें एसओओ समझौते की समीक्षा भी शामिल है।
इससे पहले 2008 में एसओओ पर दस्तखत किए गए थे और समय-समय पर इसका नवीनीकरण किया जाता रहा।
अधिकारियों ने कहा कि केएनओ और यूपीएफ तथा उनके घटक हिंसा का रास्ता पूरी तरह त्याग देंगे तथा भारत के संविधान, देश के कानून और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का पालन करेंगे।
एसओओ समझौते के बाद केएनओ और यूपीएफ के साथ त्रिपक्षीय वार्ता होगी ताकि समयबद्ध तरीके से भारत के संविधान के तहत बातचीत के जरिए राजनीतिक समाधान का मार्ग प्रशस्त हो सके।
अधिकारियों ने बताया कि केएनओ और यूपीएफ तथा उनके घटक देश के भीतर या बाहर किसी भी अन्य सशस्त्र समूह के साथ संगठनात्मक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई संबंध नहीं रखेंगे।
उन्होंने कहा कि केएनओ और यूपीएफ तथा उनके घटक सुरक्षा बलों, अन्य समूहों और/या जनता के विरुद्ध घात लगाकर हमला, छापा मारने, गोलीबारी और हमले जैसे कोई भी आक्रामक अभियान नहीं चलाएंगे जिससे मृत्यु/चोट/क्षति या संपत्ति का नुकसान हो, अपहरण, जबरन वसूली, धमकी आदि हो।
सुरक्षा बल भी केएनओ और यूपीएफ तथा उनके घटकों के विरुद्ध तब तक कोई अभियान नहीं चलाएंगे जब तक वे इस समझौते का पालन करते हैं।
कुकी समूहों के निर्दिष्ट शिविरों का स्थानांतरण मेइती समूहों की लंबे समय से चली आ रही मांग है, जिनका आरोप है कि इन शिविरों के उग्रवादियों ने पहले घाटी में रहने वाले लोगों पर हमले किए थे।
उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग को मुक्त आवाजाही के लिए खोलने की भी मांग की।
मणिपुर में वर्तमान में राष्ट्रपति शासन लागू है। तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने महीनों की जातीय हिंसा के बाद गत 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है, जिसका कार्यकाल 2027 तक है।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने शांति बहाल करने और सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
भाषा वैभव