दावे, आपत्तियां एक सितंबर के बाद भी दाखिल की जा सकती हैं: ईसी ने बिहार एसआईआर मामले पर कहा
अमित रंजन
- 01 Sep 2025, 08:04 PM
- Updated: 08:04 PM
नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान तैयार मतदाता सूची के मसौदे में दावे, आपत्तियां और सुधार एक सितंबर के बाद भी दाखिल किए जा सकेंगे लेकिन उन पर विचार मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही किया जाएगा।
बिहार एसआईआर के लिए निर्वाचन आयोग की 24 जून की अनुसूची के अनुसार, मसौदा सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा आज समाप्त हो रही है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निर्वाचन आयोग (ईसी) की इस दलील पर गौर किया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि तक दावे और आपत्तियां दाखिल की जा सकती हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘समय बढ़ाने के संबंध में, ईसीआई द्वारा प्रस्तुत नोट में कहा गया है कि एक सितंबर के बाद दावे/आपत्तियां या सुधार दाखिल करने पर रोक नहीं है। यह कहा गया है कि दावे/आपत्तियां/सुधार समय सीमा के बाद भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं, अर्थात एक सितंबर के बाद और मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इस पर विचार किया जाएगा।"
शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘यह प्रक्रिया नामांकन की अंतिम तिथि तक जारी रहेगी और नाम शामिल करने/ नाम हटाना अंतिम मतदाता सूची में समाहित किया जाएगा। इस रुख को देखते हुए दावे / आपत्तियां / संशोधन दायर किए जाते रह सकते हैं।’’
इसके बाद पीठ ने राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग के नोट के जवाब में अपने जवाब दाखिल करने की छूट दे दी।
शीर्ष अदालत ने बिहार एसआईआर को लेकर भ्रम की स्थिति को ‘‘काफी हद तक विश्वास का मुद्दा’’ करार देते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल करने में व्यक्तिगत मतदाताओं और राजनीतिक दलों की सहायता के लिए अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों को तैनात करे।
पीठ ने कहा कि अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों संबंधित जिला न्यायाधीशों के समक्ष एक गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और राज्य के एकत्रित आंकड़े पर आठ सितंबर को विचार किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समयसीमा एक सितंबर से आगे बढ़ाने से मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का पूरा कार्यक्रम बाधित होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘समय-सीमा नियमानुसार तय की गई है तथा दावे और आपत्तियां दाखिल करने के लिए अधिकतम तीस दिन का समय दिया गया है।’’
द्विवेदी ने कहा कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने एसआईआर कवायद के लिए अपने पात्रता दस्तावेज पहले ही दाखिल कर दिए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इन दस्तावेजों के सत्यापन का कार्य वर्तमान में जारी है और 24 जून, 2025 के एसआईआर आदेश में दिए गए कार्यक्रम के अनुसार, इसे 25 सितंबर, 2025 तक पूरा किया जाना है।’’
द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा अपने बूथ स्तर के एजेंट के माध्यम से 36 दावे दायर करने का दावा "गलत और भ्रामक" है और रिकॉर्ड के अनुसार सही स्थिति केवल 10 है।
द्विवेदी ने कहा, ‘‘हालांकि, जैसा कि आईए (इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन) में स्वीकार किया गया है, सभी 36 दावों को बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा स्वीकार कर लिया गया है और तदनुसार संसाधित किया जा रहा है।’’
उन्होंने बताया कि 31 अगस्त तक की स्थिति के अनुसार भाकपा (माले) ने नाम शामिल करने के लिए 15 दावे और नाम बाहर करने के लिए 103 आपत्तियां दायर की थीं।
वरिष्ठ वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बाद 30 अगस्त तक केवल 22,723 दावे नाम शामिल करने के लिए दायर किए गए थे और 1,34,738 आपत्तियां नाम हटाने के लिए दायर की गई थीं।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और शोएब आलम ने पीठ से आग्रह किया कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं के लिए आधार कार्ड को पात्रता दस्तावेज के रूप में माना जाने का निर्देश देने वाला एक आदेश दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि वह पहले ही 65 लाख हटाये गए मतदाताओं के लिए आधार स्वीकार करने का आदेश दे चुकी है, लेकिन वह कानून में निर्धारित आधार की स्थिति को किसी आदेश के माध्यम से नहीं बढ़ा सकती।
पीठ ने वकील से कहा, ‘‘आधार अधिनियम की धारा 9 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आधार संख्या नागरिकता या अधिवास का प्रमाण नहीं है।’’
हालांकि, पीठ ने उनसे अगली सुनवाई में उन मामलों को ध्यान में लाने को कहा जहां सूची से हटाये गए मतदाताओं के मामले में आधार को ध्यान में नहीं रखा गया।
राजद की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निर्वाचन आयोग एसआईआर प्रक्रिया में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है और उन्होंने अदालत से समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया।
पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को बिहार एसआईआर से संबंधित 24 जून के आदेश में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा और मसौदा सूची से नाम हटाने के लिए दायर आपत्तियों की उच्च दर पर चिंता व्यक्त की।
पीठ ने मामले की सुनवाई 8 सितंबर को करना निर्धारित करते हुए कहा कि ‘‘राजनीतिक दलों को सक्रिय होने की आवश्यकता है।’’
राजद ने वकील फौजिया शकील और एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने वकील निजाम पाशा के माध्यम से दायर याचिका में बिहार में चुनाव पुनरीक्षण प्रक्रिया में दावे और आपत्तियां दायर करने की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है।
बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। एसआईआर के निष्कर्षों के अनुसार, बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या, सर्वेक्षण से पहले 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई।
भाषा अमित