विपक्ष को बिहार विधानसभा में एसआईआर पर बयान देने का मौका मिला
गोला मनीषा
- 24 Jul 2025, 02:00 PM
- Updated: 02:00 PM
पटना, 24 जुलाई (भाषा) बिहार विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त की कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के कारण चुनाव से पहले कई गरीब मतदाता ‘‘मताधिकार से वंचित’’ हो सकते हैं।
विपक्षी सदस्य विरोध स्वरूप काले कपड़े पहनकर विधानसभा के मानसून सत्र में भाग ले रहे हैं। उन्हें आखिरकार मानसून सत्र के अंतिम दिन अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति दे दी।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राजद में अपने उन सहयोगियों की ओर से माफी मांगी, जिन्होंने एक दिन पहले दुर्व्यवहार किया था लेकिन उन्होंने यह भी मांग की कि सत्तारूढ़ पक्ष के भी जिन लोगों ने दुर्व्यवहार किया, वे भी माफी मांगें।
यादव ने कहा, ‘‘न केवल ‘इंडिया’ गठबंधन, बल्कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू जैसे कई राजग सहयोगियों ने भी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सवाल उठाए हैं। निर्वाचन आयोग दावा कर रहा है कि घुसपैठिए मतदाता सूची में शामिल हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय में दिए गए अपने हलफनामे में इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया है।’’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर रुख करते हुए यादव ने कहा, ‘‘मैं सरकार से अपील करता हूं कि इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी वास्तविक मतदाता का नाम मतदाता सूची से न हटाया जाए। जिन गरीब और असहाय लोगों से चुनाव आयोग द्वारा कई तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, उन्हें मदद दी जानी चाहिए।’’
इसी तरह के विचार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान ने भी व्यक्त किए, जिन्होंने आरोप लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण एक ‘‘शिगूफा’’ है, जिसे चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर लागू किया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महबूब आलम ने दावा किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण एक ‘‘षड्यंत्र है जिसका मकसद दलितों और हाशिए के अन्य वर्गों को उनके मतदान के अधिकार से वंचित करना है।’’
आलम ने कहा, ‘‘चुनाव आयोग ने 700 पन्नों से अधिक का हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें ‘घुसपैठिया’ शब्द का कोई जिक्र नहीं है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि घुसपैठियों की बात सत्तारूढ़ राजग की एक रणनीति है, जिसका मकसद मुसलमानों को निशाना बनाना है।"
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अजय कुशवाहा ने मांग की कि इस विशाल प्रक्रिया को ‘‘तुरंत रोका जाए।’’
सत्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सदन को आश्वस्त किया कि ‘‘यह राज्य सरकार की भी मंशा है कि कोई भी वास्तविक मतदाता छूटे नहीं और किसी को भी मतदान के अधिकार से गलत तरीके से वंचित न किया जाए।’’
बहरहाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विपक्ष को यह कहकर चिढ़ाने की कोशिश की कि ‘‘बिहार में घुसपैठिए हैं, यह तथ्य सबसे पहले लालू प्रसाद ने 1990 के दशक में मुख्यमंत्री रहते हुए स्वीकार किया था।’’
इसके बाद अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू की, जिसमें दोनों पक्षों के सदस्य हिस्सा ले रहे थे। हालांकि, विपक्ष के कुछ सदस्यों ने यह मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया कि उन्हें भी बोलने का अवसर दिया जाए।
जब अध्यक्ष की चेतावनी के बावजूद विपक्षी सदस्य नहीं माने और उनमें से कई सदस्य आसन के समक्ष आकर तख्तियां लहराने लगे, तो सदन की कार्यवाही शून्यकाल लिए बिना दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
भाषा
गोला