बंगाल : नौकरी बहाली की मांग को लेकर राज्य सचिवालय तक गैर-शिक्षण कर्मचारियों का मार्च पुलिस ने रोका
पारुल मनीषा
- 08 Jul 2025, 04:48 PM
- Updated: 04:48 PM
कोलकाता, आठ जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल में स्कूलों के सैकड़ों गैर-शिक्षण कर्मचारी नौकरी की बहाली की मांग को लेकर मंगलवार को राज्य सचिवालय 'नबन्ना' की ओर बढ़े। हालांकि, पुलिस ने उनके मार्च को सचिवालय से तीन किलोमीटर पहले ही रोक दिया।
अधिकारियों के मुताबिक, खराब मौसम के बावजूद ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री या राज्य के मुख्य सचिव से मिलने का समय मांगते हुए अपना प्रदर्शन जारी रखा।
अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को हावड़ा में राज्य सचिवालय 'नबन्ना' से करीब तीन किलोमीटर पहले बंकिम सेतु के नीचे रोक दिया गया और मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव से मिलने की उनकी मांग ठुकरा दी गई।
उच्चतम न्यायालय ने 2016 में राज्य स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से की गई भर्तियों में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार के बाद इन गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति इस साल अप्रैल में रद्द कर दी थी।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि एसएससी ने उन्हें 'दागी' नहीं बताया, इसके बावजूद शीर्ष अदालत के आदेश के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई हुई।
पात्र गैर-शिक्षण कर्मचारी अधिकार मंच के प्रवक्ता बिक्रम पोली ने कहा, ‘‘हमने तीन जुलाई को सरकार को उस संकट के बारे में एक प्रश्नावली सौंपी थी, जिसके कारण हमारी नौकरी चली गई। हम अपनी दुर्दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हैं। हमें उम्मीद है कि हमारी मुख्यमंत्री या उनकी अनुपस्थिति में मुख्य सचिव हमारे सवालों का जवाब देंगे। हम उनसे मिलने के लिए 'नबन्ना' तक मार्च निकाल रहे हैं।’’
पोली ने प्रदर्शनकारियों को बंकिम सेतु पर रोके जाने के बाद कहा, ‘‘पुलिस अब हमें बता रही है कि सरकार का एक प्रतिनिधि 'नबन्ना' में हमसे मिलेगा, लेकिन मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव वहां नहीं होंगे। हम इसे स्वीकार नहीं करते। जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती, हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।’’
प्रदर्शनकारियों ने मध्य हावड़ा में स्थित हावड़ा मैदान से अपना मार्च शुरू किया और जलभराव वाली सड़कों से होते हुए आगे बढ़े। उन्होंने स्कूलों में 3,394 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की तत्काल बहाली की मांग की, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं और दागी नहीं हैं।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि शीर्ष अदालत के आदेश के कारण वे पिछले चार महीने से बेरोजगार हैं। उन्होंने मांग की कि एसएससी पात्र और गैर-दागी उम्मीदवारों के रूप में सभी 3,396 कर्मचारियों की प्रमाणित सूची प्रकाशित करे।
प्रदर्शन में शामिल एक कर्मचारी ने कहा, ‘‘अगर राज्य सरकार या एसएससी ने अदालत में दागी और बेदाग शिक्षकों एवं कर्मचारियों की अलग-अलग सूची पेश की होती, तो हमें इस तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।’’
एक प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि वे पिछले चार महीने से वेतन के बिना गुजर कर रहे हैं, क्योंकि ‘‘सरकार न केवल नियुक्तियों के मामले में भ्रष्टाचार में लिप्त रही, बल्कि उन लोगों की पहचान करने में भी नाकाम रही, जो इस घोटाले का हिस्सा नहीं थे और निष्पक्ष रूप से नियुक्ति हासिल की थी।’’
सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 की संपूर्ण एसएलएसटी भर्ती सूची को रद्द कर दिया था और कक्षा 9-12 के शिक्षकों के साथ-साथ ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों की 25,753 नियुक्तियों को अमान्य करार दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को ‘‘कलंकित और दूषित’’ कर दिया है। उसने आदेश दिया था कि एसएससी को इस साल 31 दिसंबर तक रिक्त पदों के लिए नये सिरे से चयन पूरा करना होगा।
अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए न्यायालय ने 17 अप्रैल को केवल उन शिक्षकों को, जिनकी पहचान बेदाग के रूप में की गई थी, नयी भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक अपने संबंधित पदों पर अध्यापन कार्य जारी रखने तथा उन्हें नयी चयन प्रक्रिया में नये सिरे से हिस्सा लेने की अनुमति दे दी थी, लेकिन गैर-शिक्षण कर्मचारियों को ऐसी कोई राहत नहीं प्रदान की थी।
भाषा पारुल