ईरान और इजराइल के बीच नाजुक संघर्षविराम से दीर्घकालिक शांति की उम्मीद जगी
एपी अमित माधव
- 25 Jun 2025, 05:39 PM
- Updated: 05:39 PM
दुबई, 25 जून (एपी) इजराइल और ईरान के बीच नाजुक संघर्षविराम मुश्किलों भरी शुरुआत के बाद बुधवार को कायम होता दिखायी दिया, जिससे यह उम्मीद जगी है कि एक दीर्घकालिक शांति समझौता हो सकता है। हालांकि तेहरान ने इस बात पर जोर दिया है कि वह अपना परमाणु कार्यक्रम नहीं छोड़ेगा।
इजराइल और ईरान के बीच युद्ध के 12वें दिन मंगलवार को संघर्षविराम लागू हो गया। हालांकि दोनों पक्षों ने शुरू में एक दूसरे पर इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया, लेकिन अंततः मिसाइल, ड्रोन और बम के हमले बंद हो गए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को नीदरलैंड में नाटो शिखर सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि यह (संघर्षविराम) "बहुत अच्छी तरह से" जारी है।
संघर्षविराम तक पहुंचने में मदद करने वाले ट्रंप ने कहा, ‘‘वे बम नहीं बनाएंगे और वे संवर्धन नहीं करेंगे।’’
हालांकि, ईरान ने इस बात पर जोर दिया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं छोड़ेगा। वहीं ईरानी संसद ने एक मतदान में एक प्रस्ताव को तेजी से आगे बढ़ाने पर सहमति जतायी, जो वियना स्थित संयुक्त राष्ट्र संगठन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईएए) के साथ देश के सहयोग को प्रभावी रूप से रोक देगा। आईएईए ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वर्षों से निगरानी कर रहा है।
मतदान से पहले, संसद अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर कलीबाफ ने आईएईए की आलोचना की कि उसने रविवार को अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर किए गए हमले की ‘‘निंदा भी नहीं की।’’
कलीबाफ ने सांसदों से कहा, ‘‘इस कारण से, ईरान का परमाणु ऊर्जा संगठन आईएईए के साथ सहयोग को तब तक निलंबित रखेगा जब तक कि परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती और ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम तेज गति से आगे बढ़ेगा।’’
अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हुए हमले किये थे। इस हमले के बारे में ट्रंप ने कहा है कि इससे ईरान का परमाणु कार्यक्रम "पूरी तरह से नष्ट हो गया।’’
पश्चिम एशिया के लिए ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने मंगलवार देर रात फॉक्स न्यूज पर कहा कि इजराइल और अमेरिका ने अब ईरान में "संवर्धन क्षमता के पूर्ण विनाश" के अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लिया है और वार्ता के लिए ईरान की शर्त - कि इजराइल अपना अभियान समाप्त करे - भी पूरी हो गई है।
नाटो शिखर सम्मेलन में, जब उनसे अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के बारे में पूछा गया, जिसमें पाया गया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ महीने पीछे धकेल दिया गया है, तो ट्रंप ने उपहास किया और कहा कि इसे फिर से खड़ा करने में "वर्षों" लगेंगे।
इजराइली सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने बुधवार को कहा कि उनके देश का आकलन यह भी है कि ईरान की परमाणु सुविधाओं को "काफी नुकसान पहुंचाया गया है" और हमले से इसका परमाणु कार्यक्रम "कई साल पीछे चला गया है।"
विटकॉफ ने ‘फॉक्स न्यूज’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप अब "एक व्यापक शांति समझौते पर पहुंचना चाहते हैं जो संघर्षविराम से भी आगे तक जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से ही एक दूसरे से बात कर रहे हैं, न केवल सीधे, बल्कि मध्यस्थों के माध्यम से भी।’’ उन्होंने कहा कि बातचीत आशाजनक रही है और ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि हम दीर्घकालिक शांति समझौता कर सकते हैं।"
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और ईरान के करीबी सहयोगी चीन ने भी बुधवार को अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसे उम्मीद है कि "पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक स्थायी और प्रभावी संघर्षविराम हो सकता है।’’
ईरानी तेल का चीन एक प्रमुख खरीदार है और उसने ईरानी सरकार का लंबे समय से राजनीतिक समर्थन किया है और नवीनतम संघर्ष शुरू करने और क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए इजराइल को दोषी ठहराया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बीजिंग में संवाददाताओं से कहा कि संघर्ष के मद्देनजर, चीन "पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता की रक्षा के लिए सकारात्मक कारकों को शामिल करने के लिए तैयार है।"
इजराइल के साथ युद्ध के दौरान, ईरान ने इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में कई कैदियों को फांसी दी, जिससे सामाजिक कार्यकर्ताओं में यह डर पैदा हो गया कि संघर्ष समाप्त होने के बाद कई और फांसी हो सकती है।
इसने बुधवार को जासूसी के आरोप में तीन और कैदियों को फांसी दी, जिससे 16 जून से जासूसी के लिए फांसी की सजा की कुल संख्या छह हो गई।
एपी अमित