केंद्र ने वैज्ञानिक उपकरणों एवं अन्य वस्तुओं के खरीद नियमों में ढील दी
राजकुमार प्रशांत
- 15 Jun 2025, 10:25 PM
- Updated: 10:25 PM
नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) अनुसंधानकर्ताओं की ओर उठ रही मांगों के बीच सरकार ने रक्षा अनुसंधान संगठनों समेत विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों को वैज्ञानिक उपकरणों और उपभोग्य सामग्रियों की खरीद हेतु वित्तीय सीमा बढ़ा दी है तथा ‘जीईएम’ पोर्टल के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से ऐसी खरीददारी करने की अनुमति प्रदान की है।
मौजूदा वित्तीय नियमों के तहत 200 करोड़ रुपये से कम मूल्य के उपकरणों की खरीद सरकारी ‘ई-मार्केटप्लेस (जीईएम)’ पोर्टल और स्थानीय उत्पादकों से ही करना अनिवार्य किया गया है ताकि घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिले।
लेकिन इन नियमों के कारण कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उच्च कोटि के कई अनुसंधान उपकरण जीईएम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं होते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद उन संस्थानों में शामिल हैं, जिन्हें सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) में बदलावों से लाभ मिलेगा क्योंकि इन बदलावों से पारंपरिक खरीद में आने वाली बाधाएं दूर कर दी गयी हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य उपलब्ध ढांचे के भीतर नवाचार को यथासंभव स्वतंत्रता देना है।
उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जीईएम पोर्टल शुरू किया गया था, लेकिन अनुसंधानकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संभवत: तंत्र विकसित नहीं हो पाया है।
सिंह ने यहां प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘जब हम वैश्विक भूमिका निभाने की ओर अग्रसर हैं, तो हमें वैश्विक मापदंडों का पालन करना होगा। हमारे मानक वैश्विक मानकों से संबंधित होने चाहिए।’’
जीएफआर में विशेष प्रावधानों में संशोधन के अनुसार, विभिन्न अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के कुलपति और निदेशक अब अनुसंधान उद्देश्यों के लिए दो लाख रुपये तक के वैज्ञानिक उपकरण और उपभोग्य वस्तुएं बिना किसी ‘कोटेशन’ के खरीद सकेंगे, जबकि पहले यह सीमा एक लाख रुपये थी।
क्रय समिति द्वारा वस्तुओं की खरीद के लिए वित्तीय सीमा मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है।
सीमित निविदा जांच (एलटीई) और विज्ञापित निविदा जांच का उपयोग करके वस्तुओं की खरीद के लिए वित्तीय सीमा मौजूदा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है।
नियमों में बदलाव किये जाने के बाद अब विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों के अंतर्गत आने वाले वैज्ञानिक संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों के कुलपतियों और निदेशकों को वैज्ञानिक उपकरणों एवं उपभोग्य सामग्रियों की गैर-जीईएम खरीद की भी अनुमति मिल गई है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले ने कहा कि जीएफआर में किए गए बदलावों से पारंपरिक खरीद में आने वाली अड़चनें दूर हो गई हैं, जो कभी-कभी वैज्ञानिक कार्यों में बाधा बनती थीं।
कुलपतियों और निदेशकों को केवल अनुसंधान उद्देश्यों के लिए आवश्यक वैज्ञानिक उपकरणों और उपभोग्य सामग्रियों की खरीद के लिए 200 करोड़ रुपये तक का वैश्विक निविदा आशयपत्र जारी करने की मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया है।
जीएफआर में संशोधन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद समेत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य अनुसंधान विभागों पर लागू होंगे।
सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के 11 वर्ष पूरे होने पर इस घोषणा को विज्ञान, नवाचार और युवा-नेतृत्व वाले विकास पर उसके द्वारा जोर देने की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत की भावी वैश्विक भूमिका के लिए अभिन्न अंग हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की हाल की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए नियम अनजाने में वैज्ञानिक प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘हमने लालफीताशाही को खत्म करने की कोशिश की है।’’
भाषा राजकुमार