कोविड-19 का नया स्वरूप सार्स-सीओवी-2 के प्राकृतिक विकास का हिस्सा: आईसीएमआर के पूर्व प्रमुख
आशीष मनीषा
- 11 Jun 2025, 05:28 PM
- Updated: 05:28 PM
नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस के नए एक्सएफजी स्वरूप का उभरना सार्स-सीओवी-2 के प्राकृतिक विकास का हिस्सा है।
भारत में इस स्वरूप से जुड़े 200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। डॉ. भार्गव देश में कोविड-19 महामारी से निपटने में अग्रणी टीम का हिस्सा थे। उन्होंने कहा, ‘‘एक्सएफजी स्वरूप का उभरना सार्स-सीओवी-2 वायरस के प्राकृतिक विकास का हिस्सा है।’’
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में 11 जून तक कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 7,000 को पार कर गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 300 से अधिक नए मामले आए हैं और इसी अवधि में छह मौतें दर्ज की गईं।
भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 206 मामले एक्सएफजी स्वरूप से जुड़े हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक 89 मामले महाराष्ट्र से आए हैं, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 49 मामले सामने आए हैं।
डॉ. भार्गव ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 (जो कोविड-19 का कारण बनता है) के एक्सएफजी स्वरूप में ऐसे उत्परिवर्तन हुए हैं जो मानव कोशिकाओं से जुड़ने और प्रतिरक्षा सुरक्षा को दरकिनार करने की इसकी क्षमता में सुधार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि इस स्वरूप में प्रतिरक्षा से बच निकलने की उच्च क्षमता है, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इससे बीमारी की गंभीरता बढ़ेगी।’’
एक्सएफजी स्वरूप के मामले केरल (15), तमिलनाडु (16), गुजरात (11), मध्य प्रदेश (6), आंध्र प्रदेश (6), ओडिशा (4), पुडुचेरी (3), दिल्ली (2), राजस्थान (2), और पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा (एक-एक) से भी सामने आए हैं।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. भार्गव ने कहा कि जिस तरह वायरस अपने आप को ढाल लेता है, उसी तरह महामारी की पहली लहर के बाद से भारत का नैदानिक बुनियादी ढांचा भी बदल गया है, तथा आरटी-पीसीआर परीक्षण, या ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन’- जो नमूनों में सार्स-सीओवी-2 की आनुवंशिक सामग्री का पता लगाता है- इसकी बुनियाद बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि ट्रूनेट जैसे प्लेटफॉर्म की व्यापक तैनाती से भारत दूरदराज और सीमित संसाधन वाली जगहों पर भी, उभरते हुए स्वरूप का तेजी से पता लगाने और नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत स्थिति में है। ट्रूनेट एक त्वरित आणविक नैदानिक परीक्षण है जो निदान के लिए आरटी-पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल करता है।
डॉ. भार्गव ने कहा, ‘‘अब सतर्कता महत्वपूर्ण है, घबराने की जरूरत नहीं है। जैसा कि हमने अतीत में किया है, हमें लक्षण दिखने पर परीक्षण जारी रखना चाहिए, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क लगाना चाहिए और टीकाकरण के साथ अद्यतन रहना चाहिए।’’
भारत में कोविड-19 के मामलों की इस नयी लहर के दौरान 74 मौतें हुई हैं। इस साल जनवरी से मामलों में वृद्धि शुरु हुई।
केरल 2,200 से ज़्यादा मामलों के साथ सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य है, उसके बाद गुजरात (1223) और दिल्ली (757) का स्थान है।
सभी राज्यों को कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन, आइसोलेशन बेड, वेंटिलेटर और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि अधिकतर मामले हल्के हैं और घरेलू देखभाल के तहत उनका प्रबंधन किया जा सकता है।
भाषा आशीष