फीस विनियमन पर दिल्ली सरकार के अध्यादेश से निजी स्कूलों को फायदा होगा: आप
यासिर अविनाश
- 11 Jun 2025, 09:58 PM
- Updated: 09:58 PM
नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत दिल्ली सरकार का फीस वृद्धि विनियमन संबंधी अध्यादेश निजी स्कूलों के पक्ष में है। आप ने इसे अभिभावकों को ‘मूर्ख’ बनाने का प्रयास बताया।
सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से इन आरोपों पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
दिल्ली मंत्रिमंडल ने निजी स्कूलों में फीस संरचना को विनियमित करने के लिए मंगलवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी, जो मानदंडों का उल्लंघन करने पर दिल्ली सरकार को ऐसे स्कूलों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने और उनसे फीस संशोधन का प्रस्ताव करने के अधिकार को भी छीन लेने की शक्ति देता है।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 पर आधारित अध्यादेश को मंजूरी दी। अध्यादेश को उपराज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
आप की दिल्ली इकाई के संयोजक सौरभ भारद्वाज ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार पिछले दरवाजे से अध्यादेश लेकर आई है।
उन्होंने इसे शासन का ‘‘खुला और खुलेआम आत्मसमर्पण’’ बताते हुए कहा कि यह कानून पूरी तरह से स्कूल मालिकों के पक्ष में बनाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब से दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है, निजी स्कूलों का पहला सत्र फीस बढ़ोतरी के साथ शुरू हुआ है। अभिभावकों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है, उन्हें बढ़ी हुई फीस चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।’’
फीस संशोधन के पुराने नियमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि स्कूलों के लिए शिक्षा निदेशालय से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य था।
उन्होंने दावा किया, ‘‘सरकार ने किसी भी स्कूल को फीस वृद्धि वापस लेने या अभिभावकों से ली गई अतिरिक्त फीस वापस करने का निर्देश नहीं दिया।’’
दिल्ली के पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि मसौदे को सार्वजनिक नहीं किया गया, ऑनलाइन अपलोड नहीं किया गया और नागरिकों से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं मांगी गई।
उन्होंने कहा कि यह उम्मीद थी कि विधेयक विधानसभा में लाया जाएगा ताकि विपक्षी दल इसकी समीक्षा कर सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इतनी डरी हुई है और निजी स्कूल संचालकों के दबाव में है।
उन्होंने तर्क दिया कि यह अध्यादेश निजी स्कूल मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘नए ढांचे के तहत फीस तय करने का अधिकार स्कूल स्तर पर गठित समितियों को सौंप दिया गया है। इन फीस विनियमन समितियों को अंतिम प्राधिकार माना जाएगा।’’
आप नेता के अनुसार उनके द्वारा तय की गई फीस स्वतः ही स्वीकृत मानी जाएगी और इसके लिए किसी सरकारी संस्था से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
स्कूल समिति में स्कूल से ही पांच सदस्य होंगे - तीन शिक्षक, एक प्रधानाचार्य और स्कूल प्रबंधन से एक सदस्य। उनका दावा है कि बाकी सदस्यों के लिए अभिभावकों का चयन लॉटरी सिस्टम के जरिए किया जाएगा।
भाषा यासिर