मनरेगा मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन हो, मूल्यांकन के लिए समिति बने: कांग्रेस
हक नरेश
- 21 May 2025, 02:23 PM
- Updated: 02:23 PM
नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को सरकार से आग्रह किया कि कि देश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजूदरी को 400 रुपये प्रतिदिन किया जाए और मजदूरी दर में बदलाव की आवश्यकता के मूल्यकांन के लिए एक समिति का गठन किया जाए।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक रिपोर्ट का उल्लेख किया और दावा किया कि आर्थिक मंदी के कारण पहले से अधिक परिवार मनरेगा के तहत रोजगार की तलाश कर रहे हैं।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के असंवेदनशील रवैये और दूरदर्शिता की कमी के शुरुआती संकेत हमें तब मिलते हैं जब उन्होंने 2015 में संसद के पटल पर मनरेगा का मज़ाक उड़ाया था। उसके बाद के वर्षों में, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, मनरेगा ने निर्णायक रूप से अपनी उपयोगिता को साबित किया है। यह सामाजिक सुरक्षा की कुछ योजनाओं में से एकमात्र ऐसी योजना है जिन्हें सरकार क्रियान्वित कर सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘2019-20 में महामारी से पहले जहां 6.16 करोड़ परिवारों ने इस योजना के तहत काम की मांग की थी, वहीं 2020-21 में यह संख्या लगभग 33 प्रतिशत बढ़कर 8.55 करोड़ तक पहुंच गई। इन करोड़ों परिवारों के लिए मनरेगा ही वह एकमात्र जीवनरेखा थी, जब सरकार के बिना योजना लगाए गए लॉकडाउन ने चारों ओर अफरा-तफरी फैला दी थी।’’
रमेश के अनुसार, ‘लिबटेक इंडिया’ द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट ने मनरेगा की मौजूदा स्थिति को लेकर कई चिंताजनक खुलासे किए हैं।
उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया, ‘‘केवल सात प्रतिशत परिवारों को ही 100 दिनों का वादा किया गया रोजगार मिल पाता है। योजना के दायरे में भले ही बढ़ोतरी हो रही हो, शायद इसलिए क्योंकि आर्थिक मंदी के कारण और अधिक परिवार मनरेगा के तहत रोजगार की तलाश कर रहे हैं — लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 से 2024-25 के बीच प्रति परिवार औसतन मिलने वाले काम के दिनों की संख्या घट गई है।’’
उनका कहना था, ‘‘मनरेगा की संकल्पना मांग के आधार पर संचालित योजना के रूप में की गई थी। इसमें कार्यदिवस सरकारी बजट के बजाय काम के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों पर निर्भर होते थे। इसे साकार करने के लिए विशेष रूप से आर्थिक मंदी की गंभीर होती स्थिति को देखते हुए बजट में पर्याप्त वित्तीय प्रावधान करना चाहिए।’’
रमेश ने कहा, ‘‘स्थिर मजदूरी के एक दशक के लंबे संकट के बीच, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि - जैसा कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस न्याय पत्र में कल्पना की गई थी - बेहद आवश्यक है। आगामी केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी को 400 रुपये प्रति दिन तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ मनरेगा मजदूरी में वृद्धि की जानी चाहिए।’’
उन्होंने सरकार से यह आग्रह भी किया कि मनरेगा की मजदूरी दर में बदलाव की आवश्यकता का मूल्यांकन करने के लिए एक स्थायी समिति बनाई जानी चाहिए।
रमेश ने कहा, ‘‘आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। मानदेय का भुगतान 15 दिनों की वैधानिक अवधि के भीतर किया जाना चाहिए और भुगतान में किसी भी देरी के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए। मनरेगा के तहत कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 दिन की जानी चाहिए।’’
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