प्रदेश में विद्या समीक्षा केंद्र से निजी विद्यालयों को भी जोड़ा जाएगा:मुख्यमंत्री धामी
दीप्ति नोमान
- 20 May 2025, 08:16 PM
- Updated: 08:16 PM
देहरादून, 20 मई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को कहा कि स्कूली शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता और परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रदेश में गुजरात मॉडल पर स्थापित किए गए विद्या समीक्षा केंद्र से निजी विद्यालयों को भी जोड़ा जाएगा।
यहां मांडूवाला स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर में छात्रावास के भूमि पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विद्या समीक्षा केंद्र के गुजरात मॉडल को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।
उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित विद्या समीक्षा केंद्र से लगभग 16 हजार विद्यालय जोड़े जा चुके हैं और शीघ्र ही प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों को भी इस नवाचार से जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे इन विद्यालयों से संबंधित शिक्षकों, छात्रों तथा समस्त शैक्षिक गतिविधियों की जानकारी एक केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से सरकार के पास उपलब्ध रहेगी।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में शिक्षा व्यवस्था में हुए व्यापक सुधारों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने देश में सबसे पहले नई शिक्षा नीति लागू की।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 141 ‘पीएम श्री’ विद्यालय तथा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय विद्यालयों का निर्माण किया जा रहा है जबकि सभी 13 जिलों के 500 विद्यालयों में ‘वर्चुअल क्लासरूम’ की व्यवस्था भी की गई है।
धामी ने कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी सरकारी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें लागू की गई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सरकारी और अशासकीय स्कूलों के छठवीं से 12वीं कक्षा तक के मेधावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जा रही है जबकि 10 वीं और 12वीं के मेधावी विद्यार्थियों को भारत भ्रमण पर भेजने की शुरुआत की गई है।
छात्रावास के शिलान्यास के अवसर पर सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह छात्रावास, छात्रों को आवासीय सुविधा प्रदान करने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में शिक्षा के साथ खेलों पर भी विशेष ध्यान दे रही है और राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की ऐतिहासिक शुरुआत की गयी है ।
भाषा दीप्ति