घायल अवस्था में मिले नर तेंदुए की मौत
सं सलीम राजकुमार
- 19 May 2025, 05:58 PM
- Updated: 05:58 PM
बहराइच (उप्र), 19 मई (भाषा) बहराइच जिले में कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के तहत एक नहर के किनारे रविवार शाम जख्मी हालत में मिले करीब डेढ़ वर्ष के एक नर तेंदुए की बाद में मौत हो गयी। वन विभाग ने यह जानकारी दी।
वन विभाग सूत्रों ने तेंदुए के किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आने की आशंका जतायी है।
कतर्नियाघाट के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) बी शिवशंकर ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बताया कि रविवार को प्रभाग के धर्मापुर रेंज में हरखापुर गांव के निकट नहर के किनारे एक तेंदुआ घायलावस्था में मिला था।
डीएफओ का कहना है कि आशंका है कि किसी अज्ञात वाहन से टक्कर लगने से वह तेंदुआ घायल हुआ होगा।
शिवशंकर के मुताबिक सूचना मिलने पर वनकर्मियों और पशु चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने पहले मन बनाया कि घायल तेंदुए को ‘ट्रंकुलाइज’ कर उसका इलाज किया जाए, लेकिन उम्र कम होने के चलते बेहोश करने में उसकी मृत्यु होने का अंदेशा था, इसलिए उसे पिंजरे में बंद करके इलाज करने का फैसला किया गया। हालांकि जब तक घायल वन्यजीव को पिंजरे में लाया जाता तब तक उसकी मृत्यु हो गई।
डीएफओ ने बताया कि मृत तेंदुए को रेंज कार्यालय लाकर तीन पशु चिकित्सकों द्वारा उसका पोस्टमॉर्टम कराया गया तथा उसके शव को जला दिया गया है। मृत तेंदुए का विसरा संरक्षित कर उसे विस्तृत जांच के लिए आईवीआरआई बरेली भेजा जा रहा है।
आरंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत तेंदुए की गर्दन पर चोट के निशान मिले हैं। बताया जा रहा है कि अंदरूनी रक्तस्राव तेंदुए की मौत हुई होगी।
डीएफओ ने बताया कि कतर्नियाघाट में बाघों एवं तेंदुओं की संख्या काफी बढ़ी है। अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में कतर्नियाघाट जंगल में लगभग 100 तेंदुए और 70-80 बाघ हैं। जंगल के बाहर उससे सटे ग्रामीण इलाकों में करीब 150 तेंदुए मौजूद हो सकते हैं। यहां वाहनों की संख्या में भी वृद्धि हुई है तथा उनकी तेज रफ्तार वन्यजीवों के लिए खतरा बनी रहती है।
जब डीएफओ से पूछा गया कि इतनी बड़ी संख्या में तेंदुए रिहायशी इलाकों एवं खेतों में क्यों आ रहे हैं तो उन्होंने कहा,‘‘ कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग करीब 550 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जंगल में एक बाघ करीब 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपना प्रभाव क्षेत्र मानता है और तेंदुओं को वहां से खदेड़ता रहता है। खदेड़े जाने के बाद तेंदुए जब ग्रामीण इलाके में आते हैं तो यहां गन्ने के खेत उन्हें जंगल में होने वाली बड़ी घास जैसे प्राकृतिक वास सी अनुभूति देते हैं। गांव में उन्हें भोजन के लिए कुत्ते, बिल्ली, गाय, भैंस, बकरी के रूप में आसान शिकार भी मिल जाते हैं।’’
उन्होंने बताया कि घटना की जांच कर मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है। उन्होंने नागरिकों को जागरूक करते हुए आगाह किया जा रहा है कि वह वन क्षेत्र के आसपास वाहन धीमी गति में चलाएं।
गौरतलब है कि साल 2025 की शुरुआत से अब तक कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के अलग-अलग क्षेत्रों में तीन तेंदुए, एक बाघ और एक हाथी मृत मिल चुके हैं। रविवार को तेंदुए की मौत की चौथी घटना सामने आई है। इससे पूर्व 2024 में भी यहां चार तेंदुए और एक बाघ मृत मिले थे।
भाषा सं सलीम