पुरी जगन्नाथ मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: मंदिर पदाधिकारी
जितेंद्र मनीषा
- 19 May 2025, 05:08 PM
- Updated: 05:08 PM
भुवनेश्वर, 19 मई (भाषा) ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के प्रशासन का कहना है कि वह 12वीं सदी के मंदिर की संपत्ति की रक्षा करेगा और मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने एक बयान में कहा कि प्रशासन मंदिर के भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण करेगा और राज्य सरकार की एकरूप नीति और श्री जंगनाथ मंदिर अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार उनकी सुरक्षा करेगा। मंदिर प्रशासन की यह टिप्पणी उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए एक फैसले के बाद आई है, जिसमें मंदिर की भूमि के हस्तांतरण, पट्टे या दाखिल-खारिज से संबंधित सभी मामलों में राज्य के विधि विभाग और मंदिर अधिकारियों के बीच निर्बाध समन्वय व समय पर संचार की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।
पुरी में मंदिर श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1955 के तहत विधि विभाग द्वारा शासित है।
यह निर्णय खुर्दा जिले में जटानी के कांटिया मौजा गांव में स्थित पुरी जगन्नाथ मंदिर की 15 एकड़ ‘विवादित’ भूमि से संबंधित मामले के सिलसिले में था।
ओडिशा के महाधिवक्ता पीतांबर आचार्य ने मंदिर के पक्ष में दलील दी और मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी भी मंदिर के हितों की रक्षा के लिए अदालत में पेश हुए।
अदालत ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि मंदिर की भूमि के लेन-देन के संबंध में कोई भी मंजूरी या स्वीकृति तब तक वैध नहीं मानी जाएगी, जब तक कि वह वैधानिक आवश्यकताओं का सख्ती से पालन न करे।
पाढ़ी ने कहा, “इस मामले में अदालत ने आने वाले कुछ दिनों में मंदिर की भूमि संपत्ति का प्रबंधन करने के आदेश दिए हैं। अदालत का आदेश मंदिर प्रशासन के लिए दिशा-निर्देश होगा और इसका सख्ती से पालन किया जाएगा। मंदिर प्रशासन मंदिर की भूमि की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि श्री जगन्नाथ मंदिर के नाम पर कुल 60,426.943 एकड़ भूमि है और यह भूमि ओडिशा के 30 में से 24 जिलों में स्थित हैं।
इसके अलावा, छह अन्य राज्यों में मंदिर की 395.252 एकड़ भूमि की पहचान की गई है।
ओडिशा के कटक, पुरी, भद्रक, केंद्रपाड़ा, खुर्दा, बालासोर और जाजपुर में जगन्नाथ मंदिर, पुरी की कुल 169.86 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है।
अतिक्रमण हटाने के लिए राज्य की विभिन्न तहसीलों में 974 मामले दर्ज किए गए हैं।
भाषा जितेंद्र