परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणु दायित्व अधिनियम में संशोधनों पर विचार कर रही सरकार
वैभव दिलीप
- 19 May 2025, 04:14 PM
- Updated: 04:14 PM
नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानूनों में संशोधन पर विचार कर रही है। वह साल 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिये निजी क्षेत्र को भागीदारी की अनुमति देने के वास्ते ऐसा करना चाहती है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि निजी क्षेत्र को भागीदारी की अनुमति देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं पर जवाबदेही सीमित करने के लिए परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन पर विचार किया जा रहा है।
सरकार नियामक सुधारों पर भी विचार कर रही है और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) के मॉडल का मूल्यांकन कर रही है, जो अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए प्रवर्तक और नियामक के रूप में कार्य करता है, जिसे 2020 में निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोलने की घोषणा की, जिसे अब तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित रखा गया था। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड देश भर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करता है, जो देश में 8.7 गीगावाट बिजली का योगदान करते हैं।
सीतारमण ने 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन की और 2033 तक पांच स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर को चालू करने की भी घोषणा की थी।
परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल में कहा था कि परमाणु ऊर्जा मिशन का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, नियामक ढांचे को सरल बनाना और भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा उत्पादन को व्यापक स्तर पर बढ़ाना है।
विदेशी परमाणु ऊर्जा कंपनियों ने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में रुचि दिखाई थी, जब भारत ने वैश्विक परमाणु व्यापार में शामिल होने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से छूट हासिल की थी।
एनएसजी की छूट 2008 के ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के बाद मिली थी।
हालांकि, 2010 का परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए एक बाधा साबित हुआ। निजी क्षेत्र ने कानून के कुछ प्रावधानों को अस्वीकार्य बताया और परमाणु क्षति के लिए पूरक मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते (सीएससी) का खंडन किया।
सरकार को उम्मीद है कि 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र निवेश करेगा।
अधिकारियों ने कहा कि 100 गीगावाट लक्ष्य का लगभग 50 प्रतिशत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से आने की उम्मीद है।
एक संसदीय समिति ने भी एक मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश की है जिसमें घरेलू और विदेशी दोनों निवेशों को आकर्षित करने के लिए सरकारी प्रोत्साहन, व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) और संप्रभु गारंटी शामिल हो।
समिति ने सुझाव दिया था कि परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में विधायी संशोधनों में तेजी लाई जाए।
भाषा वैभव