पूर्व केंद्रीय मंत्री बारला तृणमूल में शामिल, भाजपा पर आदिवासी कल्याण के कार्य रोकने का आरोप लगाया
पारुल पवनेश
- 15 May 2025, 06:53 PM
- Updated: 06:53 PM
कोलकाता, 15 मई (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के लिए काम करने के उनके प्रयासों में बार-बार अड़चन डालने का आरोप लगाया।
बारला 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार से भाजपा सांसद चुने गए थे। उन्होंने केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री के रूप में काम किया था।
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बारला की जगह मनोज तिग्गा को अलीपुरद्वार से अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसे लेकर उन्होंने खुले तौर पर नाखुशी जाहिर की थी।
अलीपुरद्वार में चाय बागान श्रमिकों और जनजातीय समुदायों की बड़ी आबादी है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में मुख्य सचेतक तिग्गा इस सीट पर चुनाव जीतने में सफल रहे थे।
टिकट कटने के बाद बारला ने भाजपा के पश्चिम बंगाल नेतृत्व से दूरी बना ली थी, जिसके चलते उनके भावी राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं।
बारला बृहस्पतिवार को सुब्रत बख्शी और अरूप बिस्वास जैसे वरिष्ठ तृणमूल नेताओं की मौजूदगी में कोलकाता में औपचारिक तौर पर पार्टी में शामिल हो गए।
उन्होंने कहा, “अगर पार्टी ही लोगों के लिए किए जा रहे विकास कार्यों को रोक दे, तो मुझे उसमें क्यों बने रहना चाहिए?”
बारला ने आरोप लगाया, “जब मैं केंद्रीय मंत्री बना, तो मैंने जब भी लोगों के लिए काम करने की कोशिश की, मुझे हर बार अड़चनों का सामना करना पड़ा। पार्टी नेतृत्व ने मुझे बार-बार रोका।”
उन्होंने कहा कि वह 160 करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल बनाना चाहते थे और इसके लिए भूमि की पहचान सहित सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई थीं।
बारला ने दावा किया, “हमें बस समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने थे, लेकिन विपक्ष के मौजूदा नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे रोक दिया। कोलकाता से दिल्ली फोन किया गया और परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।”
बारला ने कहा कि चाय बागान श्रमिकों और जनजातीय आबादी ने (चुनाव में) भाजपा को आशीर्वाद दिया, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला।
उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार जताना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे एक ऐसा मंच दिया, जहां से मैं वास्तव में लोगों के लिए काम कर सकता हूं। मैंने कुछ महीने पहले उनसे बात की थी और उन्होंने मुझे आगे आने और लोगों की सेवा करने के लिए कहा। यही वजह है कि मैं तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं।”
तृणमूल कांग्रेस ने पूर्व भाजपा सांसद का पार्टी में स्वागत किया।
पार्टी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “हमें यकीन है कि अपने अनुभव और जमीनी स्तर पर जुड़ाव, खासतौर पर अलीपुरद्वार में और चाय बागान श्रमिकों के बीच, से बारला लोगों के अधिकारों के लिए हमारी लड़ाई को मजबूत करने में एक सार्थक भूमिका निभाएंगे।”
माना जाता है कि भाजपा के साथ बारला के मतभेद क्षेत्र में पार्टी के खराब प्रदर्शन की एक वजह थे।
उम्मीदवारी को लेकर उनके और तिग्गा के बीच मतभेदों ने पिछले साल हुए मदारीहाट विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की संभावनाओं को कथित तौर पर प्रभावित किया। इस उपचुनाव में तृणमूल प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।
बारला ने 2021-22 में उस समय एक सियासी विवाद खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने कुछ भाजपा विधायकों के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से के जिलों को मिलाकर एक केंद्र-शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी।
तृणमूल ने इस कदम की कड़ी आलोचना की थी। उसने भाजपा पर राज्य को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
भाषा पारुल