हरियाणा महिला आयोग ने मेरी पोस्ट को गलत तरीके से पढ़ा और समझा: प्रोफेसर महमूदाबाद
संतोष मनीषा
- 15 May 2025, 05:09 PM
- Updated: 05:09 PM
सोनीपत (हरियाणा), 15 मई (भाषा) ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संबंध में सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट के लिए हरियाणा राज्य महिला आयोग द्वारा तलब किए गए यहां के एक निजी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि आयोग ने उनकी टिप्पणी को ‘गलत तरीके से पढ़ा और समझा’ है।
सोनीपत में अशोका विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष अली खान महमूदाबाद ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए एक सार्वजनिक बयान में कहा, ‘‘...मुझे आश्चर्य है कि महिला आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करते हुए मेरी पोस्ट को इस हद तक गलत तरीके से पढ़ा और गलत समझा कि उसने इसका अर्थ ही बदल दिया।’’
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने 12 मई को महमूदाबाद को एक नोटिस भेजा था। नोटिस में कहा गया था कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट की प्रथम दृष्टया समीक्षा से विभिन्न चिंताएं सामने आई हैं जिनमें ‘‘कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह सहित महिला सैन्यकर्मियों का अपमान करना, भारतीय सशस्त्र बलों में पेशेवर अधिकारियों के रूप में उनकी भूमिका को कमतर करके आंकना शामिल है।’’
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान पर भारत की सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ संवाददाता सम्मेलन में घटनाक्रम से मीडिया को अवगत कराया था।
महिला आयोग के नोटिस में कहा गया है कि उसने महमूदाबाद द्वारा ‘सात मई को या उसके आसपास’ दिए गए ‘सार्वजनिक बयानों’ का स्वतः संज्ञान लिया है।
आयोग के नोटिस के साथ संलग्न उनकी एक टिप्पणी के मुताबिक, महमूदाबाद ने कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना करने वाले दक्षिणपंथी लोगों को भीड़ द्वारा की गई हत्याओं और संपत्तियों को ‘मनमाने ढंग से’ गिराए जाने के कारण पीड़ित हुए लोगों के लिए सुरक्षा की मांग करनी चाहिए।
प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा की गई मीडिया ब्रीफिंग को ‘दिखावटी’ बताया। उनकी पोस्ट में कहा गया है, ‘‘लेकिन दिखावटीपन को जमीनी हकीकत में बदलना चाहिए। अन्यथा यह सिर्फ पाखंड है।’’ आयोग ने महमूदाबाद को बुधवार को अपने समक्ष पेश होने के लिए बुलाया था। हालांकि, आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने बुधवार को कहा कि उन्हें महमूदाबाद से एक ईमेल मिला है जिसमें कहा गया है कि उन्हें देर से सूचित किया गया था और इसलिए वे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकते।
इस बीच, महमूदाबाद ने कहा कि उनके वकीलों ने समन का विस्तृत जवाब दिया और बुधवार को आयोग के समक्ष उनका प्रतिनिधित्व किया।
महमूदाबाद ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा, ‘‘आयोग के नोटिस के साथ संलग्न ‘स्क्रीनशॉट’ से यह स्पष्ट होता है कि मेरी टिप्पणियों को पूरी तरह से गलत समझा गया है और आयोग के पास इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। महिला आयोग एक ऐसा निकाय है जो एक महत्वपूर्ण कार्य करता है; हालांकि, मुझे जारी किया गया समन यह उजागर करने में विफल रहा कि मेरी पोस्ट महिलाओं के अधिकारों या कानूनों के विपरीत कैसे है।’’
प्रोफेसर ने कहा कि आरोपों के विपरीत उनकी पोस्ट में इस तथ्य की सराहना की गई कि सशस्त्र बलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को चुना ताकि इस तथ्य को उजागर किया जा सके कि हमारे गणतंत्र के संस्थापकों का एक ऐसे भारत का सपना अब तक जीवित है जो अपनी विविधता के बावजूद एकजुट है।
प्रोफेसर ने कहा कि उन्होंने कर्नल कुरैशी का समर्थन करने वाले दक्षिणपंथी सदस्यों की भी सराहना की और उन्हें आम भारतीय मुसलमानों के लिए भी ऐसा ही रवैया अपनाने को कहा, जो रोजाना उत्पीड़न का सामना करते हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी पूरी टिप्पणी नागरिकों और सैनिकों दोनों के जीवन की सुरक्षा के बारे में थी। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणियों में महिलाओं के प्रति घृणा की भावना नहीं है, जिसे इसे महिला विरोधी माना जा सके।
महमूदाबाद ने कहा कि उन्होंने युद्ध की उच्च लागत के कारण शांति की वकालत करने के लिए अपने शैक्षणिक प्रशिक्षण और सार्वजनिक आवाज का इस्तेमाल किया।
महमूदाबाद ने कहा, ‘‘इसी के साथ मैंने इस बात का विश्लेषण करके टिप्पणी की कि किस तरह ‘भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सैन्य या नागरिक प्रतिष्ठानों या बुनियादी ढांचे को निशाना नहीं बनाने के लिए सावधानी बरती गई ताकि तनाव में कोई अनावश्यक वृद्धि न हो... ।’’
उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी भारतीय सेना के संतुलित और आनुपातिक दृष्टिकोण की स्पष्ट प्रशंसा को दर्शाती है और वास्तव में उन्होंने क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकवादियों का इस्तेमाल किए जाने की निंदा की है।
भाषा संतोष