कनाडा की फिल्मों पर शुल्क? क्यों व्यापार युद्धों में तनाव के केंद्र में रहती है संस्कृति?
द कन्वरसेशन रवि कांत रवि कांत नरेश
- 14 May 2025, 05:07 PM
- Updated: 05:07 PM
(सारा ई.के. स्मिथ, वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, कनाडा)
ओंटारियो, 14 मई (द कन्वरसेशन) अमेरिकी सरकार ने हाल ही में 'विदेशी' फिल्मों पर 100 प्रतिशत शुल्क (टैरिफ) लगाने की योजना की घोषणा की है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि वह अमेरिकी फिल्म उद्योग की रक्षा करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि विदेशी फिल्मों पर शुल्क लगाने के फैसले के पीछे अन्य कारणों में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ और ‘दुष्प्रचार’ भी शामिल हैं।
इस्पात और ऑटोमोबाइल से संबंधित व्यापार वार्ता में ट्रंप की यह घोषणा असंगत लग सकती है। लेकिन संस्कृति लंबे समय से उत्तरी अमेरिकी व्यापार संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।
अपनी पुस्तक, 'ट्रेडिंग ऑन आर्ट: कल्चरल डिप्लोमेसी एंड फ्री ट्रेड इन नॉर्थ अमेरिका' में मैंने इस बात का अध्ययन किया है कि किस प्रकार संस्कृति, कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका के बीच संबंधों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण साधन बन गई है।
मैं दृश्य कला पर ध्यान केंद्रित करती हूं - जिसमें प्रदर्शनियां और संग्रहालय जैसी पहल शामिल हैं - यह दिखाने के लिए कि संस्कृति किस प्रकार उत्तरी अमेरिका में मुक्त व्यापार की बातचीत के साथ संबंधित है।
इन देशों के बीच सांस्कृतिक वार्ता का इतिहास---
बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में जब कनाडा ने कनाडा-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की, तो संस्कृति मुक्त व्यापार संबंधी बहस के केंद्र में थी।
यह काल अमेरिकी सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के प्रति चिंता तथा कनाडाई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की सुरक्षा के प्रति चिंता से भरा था।
अंततः कनाडा के आग्रह पर संस्कृति को औपचारिक रूप से मुक्त व्यापार समझौतों से छूट दे दी गई, तथा सांस्कृतिक उद्योगों पर सीमित प्रावधान रखे गए।
भले ही व्यापार समझौतों में सांस्कृतिक छूट से यह धारणा बनती हो कि संस्कृति का मुक्त व्यापार के इतिहास से कोई लेना-देना नहीं है। मेरा शोध इससे उलट बताता है।
यह छूट केवल बाजारों की सुरक्षा के लिए नहीं है। राजनीतिक वैज्ञानिक पैट्रिशिया गॉफ का कहना है कि यह ‘एक अलग सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की इच्छा’ से भी आता है।
मुक्त व्यापार के प्रभाव के बारे में चर्चा में संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। और इसने नयी भू-राजनीतिक पहचान बनाने के साधन के रूप में काम किया, जिससे इन देशों को व्यापारिक गठबंधन को शुरू करने और उसे मजबूत करने में मदद मिली।
संस्कृति को अलग-अलग तरीकों से संगठित किया गया। यह एक एकीकृत उपकरण के रूप में काम करता था, लेकिन आलोचना के लिए एक मंच भी था।
उदाहरण के लिए, नॉर्थ अमेरिकन फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट के निर्माण के बाद, ऑनलाइन प्रदर्शनी पैनोरमा: द नॉर्थ अमेरिकन लैंडस्केप इन आर्ट ने कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका की कला के लिए एक साझा मंच तैयार किया। इस शो ने एक नया अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया तथा पूरे महाद्वीप के परिदृश्यों के बारे में बताया।
कूटनीतिक उपकरण के रूप में कला---
कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका की तीनों सरकारों ने कला प्रदर्शनियों का उपयोग उत्तरी अमेरिकी एकता के बारे में कहानियां बनाने और साझा करने के तरीके के रूप में किया। कला का इस्तेमाल लंबे समय से राष्ट्रीय आख्यानों के लिए किया जाता रहा है, यह सहयोग और उत्तरी अमेरिकी क्षेत्र के बारे में ये नयी कहानियां एक बदलाव थीं।
बीसवीं सदी के अधिकतर समय तक लोग उत्तरी अमेरिका को एक एकीकृत या साझा सांस्कृतिक इकाई के रूप में नहीं देखते थे। अधिकतर लोग अमेरिका को आंग्ल और लैटिन अमेरिका के बीच विभाजित मानते थे।
कला को इस पर काबू पाने के साधन के रूप में देखा गया। इसने मुक्त व्यापार के तहत कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका के बीच नए गठबंधन का समर्थन करने तथा उसे चित्रित करने का एक तरीका प्रदान किया।
प्रदर्शनियों ने उत्तरी अमेरिका को एक नए परिप्रेक्ष्य में चित्रित करने का एक तरीका पेश किया। उन्होंने महाद्वीपीय एकता के बारे में अवधारणाओं को जनता के सामने प्रस्तुत किया।
कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका खुद को एक क्षेत्रीय समूह का हिस्सा कैसे मान सकते हैं?
ये कला प्रदर्शनियां कई स्तरों पर कारगर रही हैं।
वे ऐसे काम को एक साथ लेकर आए जिससे दृश्य, विषयगत संबंध बनाने में मदद मिली। उन्होंने सांस्कृतिक पेशेवरों को मिलने और संबंध बनाने में मदद की। उन्होंने संग्रहालयों को आपसी सहयोग करने में मदद की।
इसके अलावा, प्रदर्शनियों ने राजनयिक स्थान भी प्रदान किए। कई प्रदर्शनियों के उद्घाटनों में द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय संबंधों में विशिष्ट क्षणों का जश्न मनाया गया, जिससे राजनयिक और सरकारी संबंधों के लिए सामाजिक स्थान का निर्माण और सुविधा हुई।
संस्कृति की भूमिका---
मुक्त व्यापार समझौतों ने 20वीं सदी के अंत में पश्चिमी गोलार्ध की अर्थव्यवस्थाओं और सार्वजनिक समझ को मौलिक रूप से बदल दिया। राजनीतिक वैज्ञानिक गाय पोइट्रास का तर्क है कि एक क्षेत्र के रूप में उत्तरी अमेरिका का आविष्कार इसी समय हुआ था।
कलात्मक प्रतिरोध, मुक्त व्यापार की आलोचना
उस समय में केवल यही संदेश नहीं थे। समकालीन कला से जुड़े एक वर्ग ने मुक्त व्यापार पर सवाल उठाने के साथ ही उसे चुनौती भी दी।
कई कनाडाई कलाकारों ने अपने कला कर्म के माध्यम से सवाल पेश किए और मुक्त व्यापार के तहत बढ़ते आर्थिक एकीकरण की आलोचना की। 1980 और 90 के दशक में वीडियो कला ऐसी प्रस्तुतियों का प्रमुख मंच थी।
वीडियो आर्ट ने मुक्त व्यापार की मीडिया कवरेज की आलोचना की, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर चिंतन किया और उत्तरी अमेरिका के बारे में प्रयोगात्मक विमर्श को आगे बढ़ाया।
वीडियो आर्ट वैश्वीकरण विरोधी प्रदर्शनों से भी जुड़ी हुई थी जो मुक्त व्यापार के तहत उत्तरी अमेरिका में आर्थिक एकीकरण की शुरूआत में आकार ले रहे थे।
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