उच्च न्यायालय ने प्रेम संबंध को लेकर पति के दावे पर महिला से आवाज का नमूना मांगा
आशीष माधव
- 13 May 2025, 05:22 PM
- Updated: 05:22 PM
मुंबई, 13 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने अपनी पत्नी पर विवाहेतर संबंध का आरोप लगाने वाले पति की याचिका पर महिला से अपनी आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पारंपरिक साक्ष्य की जगह ले रहे हैं।
न्यायमूर्ति शैलेश ब्रह्मे की पीठ ने नौ मई को पारित आदेश में कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी पक्ष को आवाज के नमूने उपलब्ध कराने का निर्देश देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन वर्तमान मामले में कार्यवाही कुछ हद तक दीवानी और कुछ हद तक फौजदारी दोनों प्रकृति की है।
यह आदेश एक व्यक्ति की याचिका पर पारित किया गया, जिसमें उसने अपनी अलग रह रही पत्नी को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह अपनी आवाज का नमूना दे ताकि वैवाहिक विवाद में उसके द्वारा प्रस्तुत की गई आवाज रिकॉर्डिंग के सत्यापन के लिए उसे फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा जा सके। व्यक्ति का कहना है कि नमूने से उसकी पत्नी के विवाहेत्तर संबंध की पुष्टि हो सकेगी।
अदालत ने कहा कि महिला सत्यापन के लिए अपनी आवाज का नमूना देने को बाध्य है, क्योंकि व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का सत्यापन मददगार हो सकता है।
पीठ ने महिला की इस दलील को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि पति द्वारा प्रस्तुत मेमोरी कार्ड और सीडी साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि वह मूल सेल फोन, जिससे कथित आवाज रिकॉर्डिंग की गई थी, उपलब्ध नहीं है।
न्यायमूर्ति ब्रह्मे ने कहा कि इन सभी बातों पर निचली अदालत द्वारा विचार किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के आगमन के कारण, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पारंपरिक साक्ष्य की जगह ले रहे हैं। इसलिए, मजिस्ट्रेट को अधिक अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है, जो तथ्यान्वेषी प्राधिकार है।’’
महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पारिवारिक अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी।
अपने बचाव में व्यक्ति ने पारिवारिक अदालत में अपनी पत्नी और उसके कथित प्रेमी की आवाज की रिकॉर्डिंग के साथ एक मेमोरी कार्ड और सीडी प्रस्तुत की। महिला ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि रिकॉर्डिंग में उसकी आवाज नहीं है।
व्यक्ति ने अहिल्यानगर जिले के पारनेर में मजिस्ट्रेट अदालत में अर्जी दाखिल कर अपनी पत्नी को आवाज का नमूना देने का निर्देश देने का अनुरोध किया। मजिस्ट्रेट ने अर्जी खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया।
उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट अदालत के फरवरी 2024 के आदेश को खारिज कर दिया और महिला को तीन सप्ताह के भीतर अपनी आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि नमूने को सत्यापन के लिए फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।
भाषा आशीष