महाराष्ट्र ने स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किए: सीसीटीवी कैमरे लगाने, कर्मचारियों की जांच को कहा गया
आशीष माधव
- 14 May 2025, 05:17 PM
- Updated: 05:17 PM
मुंबई, 14 मई (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत कम से कम एक महीने के डेटा बैकअप के साथ सीसीटीवी कैमरे लगाना, छात्रों के खिलाफ अपराधों की सूचना पुलिस को देना, अपने कर्मचारियों की जांच करना और स्कूल वाहनों के चालकों का शराब परीक्षण करना अनिवार्य किया गया है।
मानसिक दबाव या उत्पीड़न का सामना कर रहे छात्रों को परामर्श प्रदान करना तथा ‘प्री-प्राइमरी’ और ‘प्राइमरी’ के छात्रों को ‘गुड टच और बैड टच (अच्छे और बुरे मकसद से किया गया स्पर्श)’ के बारे में जागरुक बनाना भी इन दिशा-निर्देशों का हिस्सा है।
ये निर्देश राज्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 13 मई को जारी सरकारी संकल्प (जीआर) में शामिल हैं, जिसका उद्देश्य यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के कार्यान्वयन को मजबूत करना है।
इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य पिछले साल अगस्त में ठाणे जिले के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय में दो छात्राओं के यौन उत्पीड़न की पृष्ठभूमि में स्कूलों में सुरक्षा में सुधार करना है। आरोप लगे थे कि स्कूल प्रशासन और पुलिस ने मामले में समय पर कार्रवाई नहीं की।
अगस्त में स्कूल में सफाई कर्मचारी अक्षय शिंदे को यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एक अन्य मामले में जांच के लिए तलोजा जेल से कल्याण ले जाते समय पुलिस वैन के अंदर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
आदेश में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नाबालिग माना गया है तथा स्कूल अधिकारियों को किसी भी संदिग्ध अपराध की सूचना स्थानीय पुलिस स्टेशन या विशेष किशोर पुलिस इकाई को देने का आदेश दिया गया है।
आदेश में सभी स्कूलों को परिसर में कम से कम एक महीने के डेटा बैकअप के साथ सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया गया है। आदेश में चेतावनी दी गई है कि इसका पालन न करने पर सरकारी अनुदान रोके जाने और स्कूल का पंजीकरण रद्द किए जाने जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
स्कूल अधिकारी अपने कर्मचारियों की जांच कर सकते हैं और उनसे पुलिस द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र मांग सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि ‘प्री-प्राइमरी’ से लेकर छठी कक्षा तक के लिए मुख्यत: महिला शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
आदेश में कहा गया है कि जहां स्कूल परिवहन का उपयोग किया जाता है, वहां ड्राइवरों और सहायक कर्मचारियों की औचक तरीके शराब संबंधी जांच की जानी चाहिए। प्रत्येक स्कूल बस में एक महिला कर्मचारी का भी होना आवश्यक है।
बाल सुरक्षा और जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए, संकल्प में स्कूलों को महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा विकसित चिराग ऐप के बारे में छात्रों और शिक्षकों को जागरुक करने का निर्देश देता है। चिराग ऐप बाल अधिकारों से संबंधित सूचना की रिपोर्टिंग का माध्यम है।
भाषा आशीष