युवाओं में कूल्हे की क्षति में खतरनाक वृद्धि के पीछे स्टेरॉयड, प्रोटीन पाउडर जिम्मेदार : विशेषज्ञ
अमित दिलीप
- 12 May 2025, 04:45 PM
- Updated: 04:45 PM
नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) हड्डी रोग विशेषज्ञों के एक समूह ने एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता जताते हुए कहा है कि स्टेरॉयड और असत्यापित प्रोटीन पाउडर के दुरुपयोग से जिम जाने वाले 20-29 साल की उम्र के युवाओं के कूल्हों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।
यह चेतावनी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित 'दिल्ली हिप 360' सम्मेलन के दौरान दी गई, जहां हड्डी रोग विशेषज्ञों ने युवाओं में एवस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) और कूल्हे की प्रारंभिक क्षति के मामलों में चिंताजनक वृद्धि पर प्रकाश डाला, जो कि आमतौर पर वृद्धों में देखी जाती है।
सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष डॉ. एल. तोमर ने कहा, ‘‘हम हाल के वर्षों में युवा रोगियों में कूल्हे से संबंधित शिकायतों में उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं। हर सप्ताह मेरी ओपीडी में, मैं 30 वर्ष से कम आयु के दो से तीन रोगियों को देखता हूं, जिनमें से कई की उम्र 20-29 वर्ष के आसपास होती है, जो लगातार कूल्हे के दर्द की शिकायत करते हैं।’’
दिल्ली के मैक्स अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट इकाई के प्रमुख डॉ. तोमर ने कहा, ‘‘अक्सर जांच में एवस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) का पता चलता है, जो एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कूल्हे की हड्डी में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे हड्डी बेकार हो जाती है। इनमें से 70 प्रतिशत से अधिक मामलों में एनाबॉलिक स्टेरॉयड के उपयोग या असत्यापित प्रोटीन पाउडर के अत्यधिक सेवन का इतिहास होता है।’’
उन्होंने कहा कि हाल के अध्ययनों से पता चला है कि युवाओं में कूल्हे की समस्याओं में वृद्धि हुई है और शराब और स्टेरॉयड का उपयोग युवाओं में एवीएन के लिए प्रमुख कारण है।
हाल ही में, महाराष्ट्र एफडीए ने प्रोटीन पाउडर पर राज्यव्यापी जांच शुरू की, क्योंकि कई ब्रांड में प्रदर्शन-बढ़ाने वाले स्टेरॉयड पाए गए थे, जिनमें से कई उचित लेबलिंग या अनुमोदन के बिना ऑनलाइन या जिम में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं।
डॉ. तोमर ने बताया कि युवा, विशेषकर जल्दी शारीरिक परिवर्तन की चाहत रखने वाले, अनजाने में अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, विशेष रूप से कूल्हे के जोड़ के फीमरल हेड को, जो रक्त प्रवाह में परिवर्तन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होता है।
वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजीव जैन ने कहा कि स्टेरॉयड, विशेषकर जब इसका दुरुपयोग किया जाता है या बिना देखरेख के सेवन किया जाता है, तो यह हड्डियों में रक्त की आपूर्ति को सीधे प्रभावित करता है।
सम्मेलन में आर्थोपेडिक शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत एक अन्य अवलोकन से पता चला कि पिछले तीन वर्षों में दिल्ली के तृतीयक अस्पतालों में देखे गए एवीएन के 30 प्रतिशत से अधिक मामले 35 वर्ष से कम आयु के रोगियों से संबंधित थे और उनमें से अधिकांश का स्टेरॉयड इंजेक्शन, मौखिक स्टेरॉयड दुरुपयोग या पूरक दुरुपयोग का इतिहास था।
सम्मेलन के वैज्ञानिक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. शरद अग्रवाल ने कहा कि भारत में फिटनेस एक तेजी से बढ़ता उद्योग बन गया है, लेकिन उचित नियमन और शिक्षा के अभाव में।
चिकित्सकों ने फिटनेस प्रशिक्षकों, प्रभावशाली व्यक्तियों और जिम मालिकों से आग्रह किया है कि वे अपने ग्राहकों को स्टेरॉयड चक्र और असत्यापित प्रोटीन सप्लीमेंट जैसे शॉर्टकट के खतरों के बारे में शिक्षित करें।
भाषा
अमित