सीमापार गोलीबारी में शहीद हो गये सैनिक का अंतिम संस्कार
राजकुमार नरेश
- 11 May 2025, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
जम्मू, 11 मई (भाषा) पाकिस्तानी गोलीबारी में गंभीर रूप से जख्मी होने के बाद शहीद हुए एक युवा सैनिक सुनील कुमार को यहां अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास उसके गांव में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी गई।
‘4-जेएकेएलआई (जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री रेजिमेंट)’ में तैनात राइफलमैन सुनील कुमार (25) शनिवार तड़के आरएस पुरा सेक्टर में सीमा पार से हुई गोलाबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।
सुनील कुमार एक सैनिक परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके दो बड़े भाई सशस्त्र बलों में सेवारत हैं जबकि पिता पूर्व सैनिक हैं। सुनील कुमार के रिश्तेदारों ने कहा कि वह बचपन से ही सेना में शामिल होने और देश की सेवा करने के सपने देखता था।
अरनिया सेक्टर में सुनील कुमार के त्रिवा गांव के अधिकतर निवासियों को आठ मई को एहतियात के तौर पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। दरअसल एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास अग्रिम गांवों को अंधाधुंध तरीके से निशाना बनाना शुरू कर दिया था क्योंकि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइलें दागी थीं।
हालांकि, जब तिरंगे में लिपटे ताबूत में वीर जवान सुनील कुमार का पार्थिव शरीर एक सुसज्जित सैन्य वाहन में रखकर उनके गांव लाया गया, तो सैकड़ों शोक संतप्त लोग उन्हें अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई देने के लिए एकत्र हो गए । सुनील कुमार के बलिदान और राष्ट्र की प्रशंसा में नारे लगाये जा रहे थे।
जब सुनील कुमार के माता-पिता समेत परिवार के सदस्य शहीद सैनिक के अंतिम दर्शन के लिए आगे बढ़े तो तो माहौल बहुत भावुक हो गया।
बाद में पार्थिव शरीर को परमंडल ले जाया गया, जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘पूरा गांव शोक में है क्योंकि हमने इस सीमावर्ती गांव में पले-बढ़े और देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अपने बेटे को खो दिया है।’’
उन्होंने कहा कि सुनील कुमार बहुत ही सज्जन युवक था और जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी।
उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में पूरा गांव सुनील कुमार के परिवार के साथ खड़ा है।
हालांकि, पूर्व सरपंच को लगता है कि देश ने पाकिस्तान को ‘घुटने टेकने’ और उसकी दगाबाजियों से आने वाली पीढ़ियों की रक्षा करने का एक अवसर खो दिया है।
उन्होंने कहा "हमने पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ सहा है...लगभग पूरा गांव खाली करा दिया गया था। लेकिन हम ऐसे समाधान की तलाश में थे, जहां हमें अपने युवाओं की अर्थी को कंधा न देना पड़े और न ही अपने घरों को छोड़ना पड़े। हम उम्मीद कर रहे थे कि सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाएगी, ताकि वह भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के बारे में आगे कभी सोच न सके।"
भाषा राजकुमार