कश्मीर से निकाले जा रहे पाकिस्तानियों में शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद पुलिसकर्मी की मां भी शामिल
नोमान दिलीप
- 29 Apr 2025, 07:16 PM
- Updated: 07:16 PM
श्रीनगर, 29 अप्रैल (भाषा) जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने मंगलवार को 60 पाकिस्तानियों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनमें शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद पुलिस कर्मी की मां भी शामिल हैं, जिनकी आतंकवादी हमले में मौत हो गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि इन सभी को विभिन्न जिलों से इकट्ठा करके बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें वाघा सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।
पिछले सप्ताह पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद केंद्र ने कई कदमों की घोषणा की थी, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, इस्लामाबाद के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करना, तथा अल्पकालिक वीजा पर रह रहे सभी पाकिस्तानियों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने या कार्रवाई का सामना करने का आदेश देना शामिल था।
निर्वासित किए जा रहे 60 लोगों में अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो पूर्व आतंकवादियों के लिए 2010 की पुनर्वास नीति के तहत घाटी में लौटे थे।
अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 36 पाकिस्तानी श्रीनगर में, नौ-नौ बारामूला और कुपवाड़ा में, चार बडगाम में और दो शोपियां जिले में रह रहे थे।
आतंकवादियों से लड़ते हुए मई 2022 में शहीद हुए विशेष पुलिस अधिकारी मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर भी निर्वासित किए जा रहे लोगों में शामिल हैं।
मुदासिर जम्मू कश्मीर पुलिस की ‘अंडर कवर’ टीम का हिस्सा थे, जिसने विदेशी आतंकवादियों के एक समूह को रोका था।
मुदासिर को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। मई 2023 में दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शमीमा ने अपने पति के साथ यह पुरस्कार लिया।
इस घटनाक्रम से खुश नहीं दिख रहे मुदासिर के चाचा मोहम्मद यूनुस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हैं, जो हमारा क्षेत्र है। केवल पाकिस्तानियों को ही निर्वासित किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि मुदासिर की मृत्यु के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिवार से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल भी दो बार परिवार से मिलने आए थे।
यूनुस ने कहा, ‘‘मेरी भाभी जब यहां आई थीं, तब उनकी उम्र 20 साल थी और वह 45 साल से यहां रह रही हैं। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी और अमित शाह से मेरी अपील है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।’’
शमीमा ने 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के फैलने से पहले सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद मकसूद से विवाह किया था।
पुलिसकर्मी की याद में बारामूला शहर के मुख्य चौक का नाम शहीद मुदासिर चौक रखा गया है।
भाषा नोमान