अदालत ने सोना तस्करी मामले में अभिनेत्री रान्या राव, सह-आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
अमित सुरेश
- 22 Apr 2025, 09:07 PM
- Updated: 09:07 PM
बेंगलुरु, 22 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोना तस्करी मामले में कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव उर्फ हर्षवर्धिनी रान्या और सह-आरोपी तरुण कोंडुरु राजू की जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति एस. विश्वजीत शेट्टी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
यह मामला तीन मार्च को केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की उस कार्रवाई से उत्पन्न हुआ है, जिसके तहत रान्या राव से 12.56 करोड़ रुपये मूल्य की सोने की छड़ें जब्त की गई थीं।
रान्या राव के आवास पर ली गई तलाशी में 2.06 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और 2.67 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे।
राव और राजू दोनों पर सीमा शुल्क अधिनियम की कई धाराओं के तहत गंभीर आरोप हैं, जिनमें सोने के अवैध आयात और तस्करी से संबंधित धाराएं भी शामिल हैं।
राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश चौटा ने दलील दी कि डीआरआई ने तलाशी और जब्ती के दौरान उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। उन्होंने सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 102 का पालन न करने की ओर इशारा किया, जिसके अनुसार तलाशी लिये जाने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट या वरिष्ठ सीमा शुल्क अधिकारी के समक्ष ले जाया जाना चाहिए।
वकील ने तलाशी दस्तावेजों में अनियमितताओं को भी उजागर किया तथा दावा किया कि जिस अधिकारी ने तलाशी ली तथा गिरफ्तारी की, उसने झूठा दावा किया कि वह एक राजपत्रित अधिकारी है।
चौटा ने आरोप लगाया कि राव के परिवार को उनकी गिरफ़्तारी के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पति को केवल फोन करके जानकारी दी गई, लिखित में नहीं, जो नियमों के विरुद्ध है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि कथित अपराध के लिए सात वर्ष से कम सजा का प्रावधान है, इसलिए जमानत दिया जाना सामान्य है। उन्होंने इस आधार पर नरमी बरतने का अनुरोध किया कि राव एक महिला हैं और पहले ही 49 दिनों से अधिक समय से हिरासत में हैं।
राजू के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को सिर्फ राव के साथ व्यापारिक संबंध होने के कारण गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि राजू ने दुबई में सोना सौंपा भी, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह तस्करी की साजिश का हिस्सा थे- खासकर यदि राव ने भारत आने पर सोने की घोषणा नहीं की या सीमा शुल्क का भुगतान नहीं किया।
हालांकि, डीआरआई ने जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। उनके वकील ने दावा किया कि तस्करी का यह मामला एक बार की घटना नहीं थी, बल्कि यह कम से कम 100 किलोग्राम सोने से जुड़े एक बड़े रैकेट का हिस्सा है।
जांच के अनुसार, राव सोने की तस्करी बेंगलुरु में करती थी और उसे एक अन्य आरोपी साहिल जैन को सौंप देती थी, जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है।
डीआरआई ने कहा कि राजू एक अमेरिकी नागरिक है, जो दुबई में सोना खरीदता था और जिनेवा या थाईलैंड जैसे गंतव्यों के लिए टिकट बुक करके अधिकारियों को गुमराह करता था, जबकि वास्तव में वह सोना राव को सौंप देता था।
उन्होंने बताया कि राव और राजू ने एकसाथ 31 बार दुबई की यात्रा की थी, जिनमें से 25 बार एक ही दिन में वापसी की यात्राएं शामिल थीं।
यह पूछे जाने पर कि क्या उचित गिरफ्तारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया, डीआरआई ने दावा किया कि राव के पति को वास्तव में लिखित रूप में गिरफ्तारी की जानकारी मिली थी।
डीआरआई ने यह भी खुलासा किया कि राव ने हवाई अड्डे पर एक प्रोटोकॉल अधिकारी तक कैसे पहुंच बनाई और उनके पिता, जो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं, की भूमिका सहित अन्य सुरागों की अभी जांच बाकी है।
अदालत ने अब अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और जमानत याचिकाओं पर जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है।
भाषा अमित