वक्फ विवाद: न्यायालय ने पश्चिम बंगाल हिंसा की जांच के लिए दायर याचिका में आरोपों को लेकर फटकार लगाई
आशीष रंजन
- 21 Apr 2025, 08:09 PM
- Updated: 08:09 PM
नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिका में याचिकाकर्ता के ‘‘निराधार’’ दावों को लेकर सोमवार को उसे फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता शशांक शेखर झा को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी तथा उन्हें नयी याचिका दायर करने की छूट प्रदान की।
शीर्ष अदालत ने झा की याचिका में किए गए दावों को लेकर उनकी खिंचाई करते हुए कहा कि याचिका आवश्यक पक्षों के अलावा किसी भी उचित सत्यापन के बिना दायर की गई। पीठ ने कहा, ‘‘लगता है आप किसी जल्दबाजी में हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमें हमेशा संस्था की अखंडता और मर्यादा को बनाए रखना चाहिए...सोचें कि कौन से कथन कहे जाने चाहिए और कौन से नहीं। प्रचार पाने की कोशिश न करें। ठंडे दिमाग से सोचें।’’
न्यायमूर्ति कांत ने झा से कहा कि उच्चतम न्यायालय में हर कथन रिकॉर्ड पर रखा जाता है, जहां हर आदेश और दलील मायने रखती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस अदालत में हर चीज रिकॉर्ड पर रखी जाती है। अदालत में दायर निवेदन और इस अदालत द्वारा पारित आदेश भावी पीढ़ियों के लिए मौजूद रहेंगे। भविष्य में जब कोई इस मामले की दलीलें देखेगा, तो क्या आपको लगता है कि उसे यह पसंद आएगी? इसलिए, हम फिर से कह रहे हैं कि इस याचिका को वापस ले लें और एक नयी याचिका दायर करें। दलीलों में शालीनता बनाए रखने और आपत्तिजनक बयानों से बचने की आवश्यकता है।’’
वकील ने कहा कि वह शीर्ष अदालत का रुख करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले के लोगों को पड़ोसी राज्यों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वे पीड़ित व्यक्ति कहां हैं। क्या आपने उन व्यक्तियों का उल्लेख किया है। क्या आपने उनके दावों की पुष्टि की है। हम हर उस नागरिक का सम्मान करते हैं जो हमारे पास आना चाहता है। उनका यहां स्वागत है। लेकिन जिम्मेदारी की भावना के साथ यह होना चाहिए। किसी को भी अपने कथन को लेकर सावधान रहना चाहिए।’’
जिन लोगों को याचिका में पक्ष नहीं बनाया गया, उनके खिलाफ लगाए गए ‘‘अप्रमाणित आरोपों’’ पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप उन लोगों के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं जो हमारे सामने नहीं हैं। क्या हम इन आरोपों को स्वीकार कर सकते हैं और उनकी गैरमौजूदगी में जांच कर सकते हैं? आपने उन्हें पक्ष नहीं बनाया है।’’
जब झा ने संशोधन कर नयी याचिका दायर करने पर सहमति जताई तो न्यायमूर्ति कांत ने कहा, ‘‘इसीलिए हमने शुरू में कहा था कि आप जल्दबाजी में हैं...हां, हम चाहते हैं कि बेजुबान लोगों को न्याय मिले, लेकिन आपको यह उचित तरीके से करना होगा। इस तरह नहीं।’’
इसके बाद पीठ ने झा को अपनी याचिका वापस लेने और ‘‘बेहतर एवं उचित विवरण’’ के साथ नयी याचिका दायर करने की अनुमति दी।
झा की याचिका में अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल द्वारा जांच कराने और पश्चिम बंगाल को हिंसा तथा लोगों के जीवन और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर रिपोर्ट देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है।
नए कानून के खिलाफ 11 और 12 अप्रैल को प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद जिले के कुछ हिस्सों मुख्य रूप से सुती, शमशेरगंज, धुलियान और जंगीपुर में सांप्रदायिक हिंसा में कई लोग मारे गए और सैकड़ों लोग बेघर हो गए।
भाषा आशीष