बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं से संपर्क के लिए कांग्रेस ने ‘महिला की बात’ अभियान शुरू किया
सुभाष अविनाश
- 18 Apr 2025, 09:34 PM
- Updated: 09:34 PM
पटना, 18 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस ने बिहार में महिलाओं से संपर्क साधने और उनकी चिंताओं को साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करने के वास्ते शुक्रवार को ‘महिला की बात, कांग्रेस के साथ’ अभियान शुरू किया।
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस प्रमुख अलका लांबा ने इस अवसर पर कहा कि यह अभियान मई के अंत तक चलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘महिला कांग्रेस कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों का दौरा करेंगी, महिलाओं से संवाद करेंगी और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनसे बातचीत करेंगी। उनके सुझावों को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा।’’
पार्टी ने यहां महिला कार्यकर्ताओं के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र भी शुरू किया है, जिन्हें अभियान का प्रसार करने के लिए लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों, प्रखंडों और जिलों में तैनात किया जाएगा।
लांबा ने कहा, ‘‘पूरे बिहार में महिलाएं केंद्र और राज्य की राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकारों से निराश हैं। इस बार, वे आगामी चुनावों में राजग की करारी हार सुनिश्चित करेंगी।’’
इस अभियान को सोशल मीडिया पर भी विभिन्न हैशटैग के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा।
लांबा ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक-शुबहा नहीं है... हम बिहार में सरकार बना रहे हैं। महागठबंधन को कोई नहीं रोक सकता।’’
लांबा ने महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी और महिला सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों की अनदेखी करने के लिए राजग की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘राजग नेताओं को आम लोगों को प्रभावित करने वाले मुख्य मुद्दों की जरा भी परवाह नहीं है।’’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'महिला संवाद' अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए लांबा ने कहा, ‘‘महिलाएं करीब एक दशक से इस तरह के संवाद का इंतजार कर रही थीं। जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो उन्हें अचानक महिला मतदाताओं की याद आ गई है।’’ मुख्यमंत्री कुमार का 'महिला संवाद' अभियान भी शुक्रवार को ही शुरू हुआ।
लांबा ने कहा, ‘‘जब राज्य में महागठबंधन की सरकार बनेगी तो हम जीविका दीदियों का मानदेय बढ़ाएंगे, उनकी सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाएंगे और उन्हें पेंशन भी देंगे।’’
लांबा ने कहा कि गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सैनेटरी पैड की जगह कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं, जिससे वे कई बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं।
बिहार की शराबबंदी नीति पर उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल कागजों पर ही है। नकली शराब अब भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध है और इसकी वजह से कई लोगों की जान गई है।’’
भाषा सुभाष