कागज उद्योग की घटिया सामग्री आयात पर प्रतिबंध, नीतिगत कार्रवाई की मांग
राजेश राजेश अनुराग रमण
- 18 Apr 2025, 09:34 PM
- Updated: 09:34 PM
मुंबई, 18 अप्रैल (भाषा) कागज उद्योग ने सरकार से स्थानीय विनिर्माताओं को खराब आयात से बचाने के लिए घटिया श्रेणी की सामग्री के आयात पर प्रतिबंध लगाने, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) लागू करने और कागज आयात की खेप की निगरानी करने का आग्रह किया है।
बढ़ते सस्ते आयात पर चिंता जताते हुए भारतीय कागज विनिर्माता संघ (आईपीएमए) ने कहा है कि चीन और इंडोनेशिया सहित प्रमुख एशियाई निर्यातकों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लगाए गए मूल और जवाबी शुल्क से स्थिति काफी बिगड़ने की आशंका है।
आईएमपीए ने वैश्विक भंडारों के भारत में स्थानांतरित होने के खतरे को चिह्नित करते हुए घरेलू कागज उद्योग की रक्षा के लिए तत्काल नीतिगत कार्रवाई का आह्वान किया है।
आईएमपीए ने बयान में कहा कि एसोसिएशन ने सस्ते कागज और ‘पेपरबोर्ड’ की आयात खेप की जांच के लिए उचित व्यापार सुधारात्मक उपायों के साथ-साथ अस्वीकृत और घटिया श्रेणी की सामग्री (जमा माल) के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
आईपीएमए ने प्रस्तावित अंतर-मंत्रालयी आयात निगरानी समूह के तहत कागज आयात की निगरानी की भी मांग की है।
एसोसिएशन ने ‘दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन’ (आसियान)-भारत एफटीए की बहिष्करण सूची में कागज और पेपरबोर्ड को शामिल करने और घटिया माल के आयात को रोकने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी करने की मांग की है।
आईपीएमए ने कहा कि भारतीय कागज उद्योग का अनुमानित वार्षिक उत्पादन 2.2 करोड़ टन है और यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। उद्योग पहले से ही तरजीही व्यापार समझौतों के तहत कागज और पेपरबोर्ड के बढ़ते आयात से जूझ रहा है।
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा, ‘‘पिछले चार वर्षों में, चीन और आसियान से आयात दोगुने से अधिक हो गया है। अब, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने अपने खुद के बाजारों की रक्षा के लिए प्रतिबंधात्मक शुल्क और अन्य व्यापार सुधारात्मक उपाय लागू कर दिए हैं। इसके साथ ही, भारत निर्यात-संचालित एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से अतिरिक्त माल के लिए डंपिंग वाली जगह बनने का जोखिम उठा रहा है।”
आईपीएमए ने कहा कि भारत में कागज और पेपरबोर्ड का आयात पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में अप्रैल-दिसंबर के दौरान लगभग 17.6 लाख टन तक पहुंच गया, जिसमें इस अवधि के दौरान चीन (36 प्रतिशत की वृद्धि) और आसियान (23 प्रतिशत की वृद्धि) से आयात शामिल है।
भाषा राजेश राजेश अनुराग