व्यापार रणनीति में बदलाव चिंताजनक; भारत उपयुक्त नीतियों, दीर्घकालीन दृष्टिकोण पर देगा ध्यान: सीतारमण
रमण अनुराग अजय
- 17 Apr 2025, 07:23 PM
- Updated: 07:23 PM
मुंबई, 17 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत दुनियाभर में जारी व्यापार रणनीतियों में बदलाव के बीच वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए उपयुक्त नीतियों और दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
सीतारमण ने शेयर बाजार बीएसई की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि शुल्क युद्ध बढ़ने और संरक्षणवादी नीतियों को अपनाने से वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था बाधित हो सकती है। साथ ही उत्पादन लागत में वृद्धि और सीमापार निवेश निर्णयों में अनिश्चितता पैदा होने की भी आशंका है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत को भरोसा है...हम चुस्त और उपयुक्त नीतिगत उपायों और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने में कामयाब होंगे।’’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘व्यापार को लेकर रणनीतियों में बदलाव के प्रयास बहुत चुनौतीपूर्ण हैं...यह चिंताजनक के साथ बहुत चुनौतीपूर्ण भी है।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति अस्थिर, अनिश्चित और जटिल बनी हुई है। देश अपनी मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद के साथ इस माहौल में मजबूती के साथ खड़ा है।
सीतारमण ने कहा कि भारत निवेशकों को नीतिगत स्थिरता, वृद्धि, सूझबूझ वाली वृहद आर्थिक नीतियां और लोकतांत्रिक संस्थान प्रदान करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक मजबूती के लिए सबसे प्रभावी रास्ता घरेलू दक्षता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास, समावेशी विकास और गहन क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से एक मजबूत घरेलू आधार बनाने पर है।’’
वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि व्यापार रणनीतियों में बदलाव के परिणामस्वरूप वित्तीय बाजार प्रभावित हुए हैं। हाल की वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनीय मतबूती दिखायी है।
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत सहित विभिन्न देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाये जाने की घोषणा के बाद से वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अमेरिकी सरकार के जवाबी शुल्क के कार्यान्वयन पर 90 दिन की रोक की घोषणा के बाद बाजारों में कुछ सुधार हुआ।
उन्होंने कहा कि घरेलू संस्थागत निवेशकों का सहायक की भूमिका से प्रमुख ताकत बनने तक का परिवर्तन भारत के पूंजी बाजार की बढ़ती परिपक्वता और मजबूती को दर्शाता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि वह खुदरा निवेशकों द्वारा आज बाजारों में अपना विश्वास बनाये रखने तथा विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं ने जो भूमिका निभायी है, उसकी सराहना करती हैं। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि कोई भी छोटी चूक बाजारों में इस नये भरोसे को खत्म कर देगी।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी आर्थिक यात्रा में एक निर्णायक मोड़ पर है। देश इस दशक के अंत तक मौजूदा पांचवें स्थान से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।
सीतारमण ने कहा कि बीएसई का 30 शेयरों वाला मानक सूचकांक... सेंसेक्स भारतीय अर्थव्यवस्था की ‘संवेदनशील नब्ज’ है और यह शेयर बाजार भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि क्षमता को दर्शाता है।
भाषा रमण अनुराग