बर्खास्त ‘बेदाग’ शिक्षकों का कार्यकाल बढ़ाने के न्यायालय के फैसले का स्वागत : ममता बनर्जी
धीरज माधव
- 17 Apr 2025, 07:01 PM
- Updated: 07:01 PM
कोलकाता, 17 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का स्वागत किया जिसमें उन ‘बेदाग’ शिक्षकों की सेवाएं बढ़ा दी गई हैं जिन्हें भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं की वजह से बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अब उन्हें राहत मिली है।
उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ी राहत मिली जिसके मुताबिक उन बर्खास्त किए गए शिक्षकों की सेवाएं बढ़ा दी गई हैं, जिन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच के दौरान बेदाग पाया था।
बनर्जी ने शीर्ष अदालत के फैसले के तुरंत बाद राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अदालत ने दिसंबर तक का समय दिया है। यह फिलहाल राहत की बात है। हम उनके वेतन को लेकर चिंतित थे क्योंकि पहले के फैसले में वेतन वितरण पर रोक लगा दी गई थी। हम वैकल्पिक रास्ता तलाश रहे थे। अदालत ने हमारी याचिका पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है ताकि उन्हें परेशानी न हो।’’
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम शीर्ष अदालत के आदेश से खुश हैं...अदालती आदेश से राहत महासूस हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं शिक्षकों से अनुरोध करूंगी कि वे चिंता न करें, समस्या का समाधान हो जाएगा।’’
बनर्जी ने इस बारे में भी अपनी स्थिति स्पष्ट की कि पात्र और अयोग्य उम्मीदवारों के बीच अंतर कैसे किया जाएगा तथा वर्तमान स्थिति कब तक बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ लोग कह रहे हैं कि यह 2026 तक चलेगा। यह सवाल ही नहीं उठता। यह मुद्दा इसी साल सुलझ जाएगा, बशर्ते सभी हमारा समर्थन करें। हम जो भी करें, हमें उम्मीद है कि हम कोई गलती नहीं करेंगे - क्योंकि जब लोगों के मुद्दों की बात आती है तो मैं कभी गलती नहीं करती।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल हमें कुछ राहत मिली है। कम से कम शिक्षकों को समय पर वेतन मिलेगा। यह बड़ी राहत है।’’
बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से शांति और धैर्य बनाए रखने की अपील की। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार पूरी तरह से उनका समर्थन करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एक राहत भविष्य की राहतों का मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिए मैं शिक्षकों से आग्रह करती हूं कि वे अपने काम पर ध्यान केंद्रित करें। चिंता न करें, हम आपके साथ हैं। आपका दर्द हमारा भी है।’’
शीर्ष अदालत ने ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ के कर्मचारियों को राहत नहीं दी है। इस बारे में पूछे जाने पर बनर्जी ने कहा, ‘‘हम वही करेंगे जो करने की जरूरत है। हमारे वकीलों को दिल्ली से आने दीजिए, मैं उनके साथ बैठकर चर्चा करूंगी। किसी भी समस्या को सुलझाने में समय लगता है। जल्दबाजी में काम न करें या किसी के जाल में न फंसें। कानून पर भरोसा रखें और हम पर विश्वास करें। हम कानूनी तरीकों से निश्चित रूप से कोई रास्ता निकाल लेंगे। धैर्य रखें और इंतजार करें।’’
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने राज्य सरकार की इस दलील पर गौर किया कि विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और नयी भर्ती में समय लगेगा।
हालांकि, न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा संचालित और सरकार से वित्त-पोषित स्कूलों के ग्रेड 'सी' और 'डी' कर्मचारियों की सेवाएं नहीं बढ़ाईं।
न्यायालय ने राज्य सरकार को 31 मई या उससे पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और इस साल 31 दिसंबर तक इसे पूरा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने राज्य सरकार और उसके पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्यूबीएसएससी) को 31 मई या उससे पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के बारे में सूचित करते हुए अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा।
न्यायालय ने तीन अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा संचालित और वित्त-पोषित स्कूलों में 25,753 शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को "दोषपूर्ण" बताया था।
उच्चतम न्यायालय ने नियुक्तियों को रद्द करने के 22 अप्रैल, 2024 के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था।
भाषा धीरज