मणिपुर हिंसा में बीरेन सिंह की भूमिका संबंधी ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर रिपोर्ट तैयार: केंद्र
शोभना सुरेश
- 17 Apr 2025, 03:38 PM
- Updated: 03:38 PM
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि मणिपुर में जातीय हिंसा के मामले में कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की संलिप्तता संबंधी लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर फॉरेंसिक रिपोर्ट तैयार है और इसे शीघ्र ही सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दिया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश वकील की दलीलों का संज्ञान लिया और ‘कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट’ (केओएचयूआर) की याचिका की सुनवाई पांच मई को शुरू हो रहे सप्ताह में किये जाने के लिए स्थगित कर दी।
वकील ने कहा कि ‘केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला’ (सीएफएसएल) की रिपोर्ट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दाखिल करेंगे और उन्होंने यह कहते हुए स्थगन की मांग की कि विधि अधिकारी मेहता इस समय उपलब्ध नहीं हैं।
मणिपुर में बिगड़े हालात और नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती मांगों के बीच सिंह ने नौ फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने उस लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सीएफएसएल से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा में सिंह की संलिप्तता का आरोप लगा था।
केओएचयूआर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सिंह की कथित भूमिका की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की थी।
सीजेआई ने कहा था, ‘‘राज्य धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और हम इसे (मामले को) फिलहाल स्थगित रखेंगे।’’ उन्होंने यह भी कहा था कि वह बाद में देखेंगे कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत करेगी या उच्च न्यायालय।
सॉलिसिटर जनरल ने टिप्पणियों से सहमति जताई थी।
भूषण ने ऑडियो लीक की विषय-वस्तु को ‘‘बहुत गंभीर मामला’’ करार देते हुए कहा था कि सिंह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि मेइती समूहों को राज्य सरकार के हथियार और गोला-बारूद लूटने की अनुमति दी गई थी।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता का ‘‘विचारधारागत झुकाव’’ है और तीन उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की एक समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे प्रयास किए गए कि ‘‘हालात खराब’’ ही रहें।
भूषण ने कहा, ‘‘एक सत्यता परीक्षण प्रयोगशाला ने पुष्टि की है कि 93 प्रतिशत तक यह मुख्यमंत्री की आवाज है और सत्यता परीक्षण प्रयोगशालाएं एफएसएल रिपोर्ट की तुलना में कहीं अधिक विश्वसनीय हैं।’’
हालांकि, विधि अधिकारी ने सत्यता परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए।
पिछले साल आठ नवंबर को पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केओएचयूआर को लीक हुईं ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता को दर्शाने के लिए सामग्री पेश करने का निर्देश दिया था।
भूषण ने कहा था कि वह सीडी प्रारूप में टेप की एक प्रति भी दाखिल करेंगे।
भूषण ने आरोप लगाया था कि रिकॉर्ड हुई बातचीत में प्रथम दृष्टया कुकी जो समुदाय के खिलाफ हिंसा में राज्य मशीनरी की मिलीभगत और संलिप्तता का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि क्लिप में ‘‘परेशान करने वाली बातचीत’’ है और सिंह को हिंसा भड़काते और हमलावरों का बचाव करते सुना जा सकता है।
भाषा शोभना