दिल्ली दंगे : कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच के आदेश पर 21 अप्रैल तक रोक
शफीक सुरेश
- 09 Apr 2025, 08:17 PM
- Updated: 08:17 PM
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने बुधवार को फरवरी 2020 के दंगों में कथित भूमिका के लिए दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच के आदेश पर 21 अप्रैल तक रोक लगा दी।
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई।
अदालत ने शिकायतकर्ता मोहम्मद इलियास को भी नोटिस जारी किया और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख 21 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने कहा, ‘‘मैंने याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों पर गौर किया है और आक्षेपित आदेश का भी अध्ययन किया है। प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें, जिस पर 21 अप्रैल, 2025 को जवाब दिया जाए। सुनवाई की अगली तिथि पर एसीजेएम (अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) की अदालत का रिकॉर्ड भी मंगाया जाए। इस बीच, आक्षेपित आदेश का क्रियान्वयन सुनवाई की अगली तिथि तक स्थगित रहेगा।’’
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 23 फरवरी, 2020 को मिश्रा और उनके साथियों ने पुलिस के साथ मिलकर कर्दमपुरी में सड़क को अवरुद्ध कर दिया और सीएए पारित होने के बाद भड़के कथित दंगों के दौरान मुसलमानों और दलितों की कारों में तोड़फोड़ शुरू कर दी।
मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी के दुबे ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश ने आगे की जांच का निर्देश देकर मामले से निपटने वाली विशेष अदालत के अधिकार क्षेत्र का ‘‘अतिक्रमण’’ किया है।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष सरकारी वकील अमित प्रसाद ने भी मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘दंगों में मिश्रा के शामिल होने के आरोप कई बार सामने आए। हमने (मिश्रा) जांच की है और निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई।’’
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने एक अप्रैल को कहा था कि प्रथम दृष्टया यह एक संज्ञेय अपराध है जिसकी जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि मिश्रा कथित अपराध के समय इलाके में ही थे। आगे की जांच की आवश्यकता है।’’
एसीजेएम यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था। हालांकि, प्राथमिकी दर्ज करने की मांग का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा है कि मिश्रा की दंगों में कोई भूमिका नहीं थी।
नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे।
पुलिस ने याचिका पर बहस के दौरान अदालत को बताया था कि मिश्रा पर दोष मढ़ने के लिए ‘साजिश रची’ जा रही है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि दंगों के पीछे की बड़ी साजिश में मिश्रा की भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है।
भाषा शफीक