‘मजहबी कानून’ को ऊपर रखने वाला कोई भी संगठन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है: विहिप
राजकुमार सुरेश
- 08 Apr 2025, 09:00 PM
- Updated: 09:00 PM
नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम का विरोध करने वालों की मंगलवार को आलोचना की और कहा कि जो भी संगठन यह कहता है कि उनके लिए ‘मजहबी कानून’ संविधान से ऊपर है, वह न केवल राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है, बल्कि देश के लोकतंत्र और न्यायिक प्रणाली का भी घोर अपमान है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन विहिप ने एक बयान में आरोप लगाया कि कुछ मुस्लिम ‘कट्टरपंथी’ नेता और संगठन संसद द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद से लगातार मुसलमानों को भड़काने और गुमराह करने में जुटे हैं।
उसने कहा है कि कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी इस अल्पसंख्यक समुदाय के सांसदों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर उनका समर्थन मांगा है।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने कहा कि भारत एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां किसी भी मजहबी या जाति-आधारित संगठन को संवैधानिक मर्यादा और नियमों (मान्यताओं) की सीमाओं को पार करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी संगठन यदि यह कहता या संकेत देता है कि उनके लिए मजहबी कानून संविधान से ऊपर है, तो वह न केवल भारत की राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा है, बल्कि यह लोकतंत्र और न्यायिक प्रणाली का भी घोर अपमान है।
संसद ने पिछले सप्ताह 12 घंटे से अधिक की बहस के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पांच अप्रैल को दोनों विधेयकों को अपनी मंजूरी दी।
विभिन्न नेताओं एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और जमीयत उलमा-ए-हिंद आदि निकायों की ओर से 10 से अधिक याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में वक्फ (संशोधन) अधिनियम की वैधता को चुनौती देने के लिए दायर की गई हैं।
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित होने की सोमवार को निंदा करते हुए इसे ‘अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक काला अध्याय’ और भारत में ‘धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला’ बताया था।
एआईएमपीएलबी ने कहा है कि वह सभी धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलायेगा और यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानून पूरी तरह से निरस्त नहीं हो जाता।
भाषा
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