उत्तराखंड : समावेशी और सहभागी शासन हेतु चिंतन शिविर का आयोजन
दीप्ति, रवि कांत
- 08 Apr 2025, 12:45 AM
- Updated: 12:45 AM
देहरादून, सात अप्रैल (भाषा) समावेशी और सहभागी शासन के उद्देश्य से केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सोमवार को यहां दो दिवसीय 'चिंतन शिविर 2025' की शुरुआत की गयी।
समावेशी नीति निर्माण, कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा और उपेक्षित रहे समुदायों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु केंद्र एवं राज्य सरकारों के मध्य सहयोग को सशक्त बनाने की दिशा में आयोजित इस चिंतन शिविर का उद्घाटन केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने किया। इस अवसर पर राज्य मंत्री रामदास अठावले, राज्य मंत्री बीएल वर्मा के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।
इस चिंतन शिविर में विभिन्न राज्यों से आए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के 23 मंत्री भी शामिल हुए।
केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा, '' सामाजिक समानता के बिना राष्ट्रीय प्रगति की कल्पना अधूरी है। 'चिंतन शिविर' केवल एक समीक्षा बैठक नहीं बल्कि यह विचार-सृजन, अनुभव साझा करने और 'विकसित भारत' की दिशा में हमारी प्रतिबद्धताओं की मूल्यांकन प्रक्रिया का एक मंच है। इसका उद्देश्य है-हर नागरिक को सम्मानपूर्वक आगे बढ़ने के समान अवसर सुनिश्चित करना, चाहे उसकी जाति, लिंग, आयु, क्षमता या सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।''
उन्होंने यह भी कहा कि कल्याण से सशक्तिकरण तक की यात्रा हमारी साझा जिम्मेदारी है और यह मंच हमें आत्ममूल्यांकन का अवसर प्रदान करता है कि हम कहां हैं और हमें कहां पहुंचना है।
इस चिंतन शिविर में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी के प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
शिविर के पहले दिन शिक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक संरक्षण एवं सुगम्यता जैसे चार प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित चर्चा हुई। इस दौरान दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने विभिन्न योजनाओं की प्रगति साझा की तथा राज्यों ने मूल्यांकन शिविर, समावेशी स्कूल ढांचे तथा सुगम परिवहन मॉडल जैसे अभिनव प्रयास प्रस्तुत किए।
इस दौरान प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति तथा पीएम-यशस्वी जैसी योजनाओं के अंतर्गत शैक्षिक समावेशन पर भी गहन चर्चा हुई। ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में डिजिटल आवेदन, सत्यापन व जागरुकता से जुड़ी चुनौती पर भी विचार-विमर्श किया गया।
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दीप्ति, रवि कांत