लोको पायलट को भोजनावकाश देने के लिए नियम बनाना व्यवहार्य नहीं : रेलवे बोर्ड
सुभाष नेत्रपाल
- 07 Apr 2025, 08:26 PM
- Updated: 08:26 PM
(जीवन प्रकाश शर्मा)
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) रेलवे बोर्ड ने कहा है कि लोको पायलट को भोजनावकाश देने और उनके शौच जाने के संबंध में नियम बनाना रेलगाड़ियों के परिचालन के लिहाज से व्यवहार्य नहीं है।
अपने सभी मंडलों को जारी एक परिपत्र में रेलवे बोर्ड ने तदनुसार आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।
बोर्ड का यह निर्णय एक बहु-विषयक समिति की सिफारिशों के बाद आया, जिसे जुलाई 2024 में ट्रेन चालकों और गार्डों के संबंधित संघों द्वारा उठाई गई शिकायतों पर विचार करने के लिए गठित किया गया था।
समिति के समक्ष आए विषयों में एक विषय ट्रेन चालकों को भोजनावकाश प्रदान करने की संभावना और शौच जाने के लिए उन्हें कुछ समय देने से संबंधित था।
समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा, ‘‘भोजनावकाश प्रदान करने और शौच जाने के संबंध में नियम बनाना ट्रेन परिचालन के लिहाज से व्यवहार्य नहीं है।’’
इन सिफारिशों को बोर्ड ने मंजूर कर लिया और चार अप्रैल को एक परिपत्र के जरिये सभी मंडलों को इससे अवगत करा दिया।
बोर्ड द्वारा मंजूर की गईं अन्य सिफारिशों में हाई-स्पीड ट्रेनों की गति की परिभाषा की समीक्षा करना तथा उनमें कर्मियों की तैनाती शामिल हैं।
मंडलीय रेलवे के महाप्रबंधकों को संबोधित बोर्ड के परिपत्र में कहा गया है कि समिति ने हाई-स्पीड रेलगाड़ियों की गति, मौजूदा 110 किलोमीटर प्रति घंटा से 130 किमी प्रति घंटा करने, की परिभाषा की समीक्षा करने की सिफारिश की है।
हाई-स्पीड ट्रेनों में चालक दल की तैनाती का विषय समिति के समक्ष उस वक्त आया, जब ट्रेन चालक संघ ने हाई-स्पीड ट्रेनों में मौजूदा एक लोको पायलट और एक सहायक लोको पायलट (एएलपी) के बजाय दो लोको पायलट तैनात करने की मांग की।
बोर्ड ने कहा है कि समिति ने इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (ईएमयू)/मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) ट्रेनों में सह-चालक की तैनाती के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया तथा मेमू में एएलपी के प्रावधान की सिफारिश की है, लेकिन ईएमयू में नहीं।
वर्तमान में, किसी उपनगरीय ट्रेन में केवल एक लोको पायलट को तैनात किया जाता है चाहे वह मेमू हो या ईएमयू।
बोर्ड ने कहा, ‘‘200 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक परिचालित होने वाली मेमू को सहायक लोको पायलट की तैनाती के लिए विचार किया गया है।’’
समिति ने इंजन के कैबिन में चालक दल वॉयस और वीडियो रिकॉर्डिंग प्रणाली (सीवीवीआरएस) के प्रावधान पर भी विचार किया। हालांकि रेलवे कर्मचारियों के संघों ने इसे लगाए जाने पर आपत्ति जताते हुए कर्मियों की निजता का मुद्दा उठाया था।
बोर्ड के परिपत्र में कहा गया, ‘‘मंडलीय रेलवे को स्वीकृत सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी जाती है।’’
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