वक्फ संशोधन अधिनियम अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए एक काला अध्याय: जमात-ए-इस्लामी हिंद
नोमान नोमान सुरेश
- 07 Apr 2025, 08:23 PM
- Updated: 08:23 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की सोमवार को निंदा करते हुए इसे "अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक काला अध्याय" और भारत में "धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला" बताया।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने संगठन की मासिक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए आरोप लगाया कि संशोधित कानून मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में स्वायत्तता को खत्म करता है और वक्फ कानून-1995 में व्यापक परिवर्तन लाता है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप काफी बढ़ जाएगा।
उन्होंने दावा किया, “यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का स्पष्ट उल्लंघन है तथा मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में राज्य के अनुचित हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त करेगा।”
जमात प्रमुख ने कहा, “कानून की पक्षपातपूर्ण प्रकृति इस तथ्य से देखी जा सकती है कि लोकसभा में इसके पक्ष में केवल 288 वोट ही पड़े, जबकि 232 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 वोट पड़े और विपक्ष में 95 वोट।”
हुसैनी ने कहा, “यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सत्तारूढ़ पार्टी के पास लोकसभा में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है और वक्फ पर चर्चा के दौरान विधेयक के पक्ष में बोलने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी से एक भी निर्वाचित मुस्लिम सांसद नहीं था।”
हुसैनी ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों और सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों को शामिल करने की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे प्रावधानों से कुप्रबंधन या भ्रष्टाचार के मुद्दों का समाधान नहीं होगा।
उन्होंने कहा, “अनुचित राजनीतिक और नौकरशाही हस्तक्षेप ऐतिहासिक रूप से वक्फ मामलों में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का प्राथमिक स्रोत रहा है। ‘वक्फ बाय यूजर’ में बदलाव और नए वक्फ पर प्रतिबंधात्मक शर्तें लागू करना मुस्लिम संस्थाओं को कमजोर करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है।”
जमात प्रमुख ने कुछ राजनीतिक दलों की भूमिका पर भी निराशा व्यक्त की।
हुसैनी ने आगाह किया, “जहां तक उन राजनीतिक दलों का सवाल है जो धर्मनिरपेक्षता को कायम रखने का दावा करते हैं, फिर भी इस असंवैधानिक कानून का समर्थन करते हैं, हमारा मानना है कि उनका पाखंड राजनीतिक अवसरवाद और धोखे का सबसे खराब उदाहरण है। उन्हें इस अल्पकालिक राजनीतिक अवसरवाद की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और हो सकता है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दोबारा सत्ता का स्वाद न चख पाएं।”
मुस्लिम संगठन ने संसद में विधेयक का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और सांसदों के प्रति आभार व्यक्त किया और उनसे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने तथा अधिनियम को निरस्त करने के लिए सभी कानूनी और संवैधानिक तरीकों के इस्तेमाल की अपील की।
जमात प्रमुख ने गाजा, खासकर रफह में इज़राइल के तीव्र हवाई हमलों की भी कड़ी निंदा की।
उन्होंने कहा, “हमलों में निर्दिष्ट "सुरक्षित क्षेत्रों" में स्थित शिविरों को निशाना बनाया गया, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित निहत्थे नागरिक मारे गए। इजराइल ने इस्लाम के सबसे पवित्र महीने रमजान के सेहरी के समय बार-बार और जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाया और विस्थापित परिवारों को आश्रय देने वाले गाजा सिटी स्कूल पर बमबारी की। यह सब इजराइल द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकारों और मानव जीवन के प्रति घोर अवमानना को दर्शाता है।”
भाषा नोमान नोमान