तमिलनाडु की मांग की अनदेखी कर रहे हैं प्रधानमंत्री : स्टालिन
रंजन माधव
- 07 Apr 2025, 06:53 PM
- Updated: 06:53 PM
चेन्नई, सात अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मछुआरों के मुद्दे को सुलझाने की तमिलनाडु की मांग को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और दावा किया कि ऐसा लगता है कि उन्होंने श्रीलंका की अपनी हालिया यात्रा के दौरान कच्चातिवु द्वीप को वापस लेने का मुद्दा नहीं उठाया।
स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि मोदी ने तमिलनाडु के मछुआरों और उनकी मछली पकड़ने वाली नौकाओं को रिहा कराने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे केवल यही पता चलता है कि कच्चातिवु को वापस लेने की तमिलनाडु की मांग को नजरअंदाज किया गया है। ऐसा नहीं लगता कि श्रीलंका गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मछुआरों की रिहाई का मुद्दा भी उठाया हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह खेदजनक और निराशाजनक है।’’
शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ बैठक के दौरान मोदी ने दोनों देशों के बीच मछुआरों के मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से हल करने की वकालत की थी और अगले दिन श्रीलंका ने विशेष कदम उठाते हुए 14 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया था।
प्रदेश में विपक्षी दल अन्नाद्रमुक के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह राज्य में अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कच्चातिवु पर ‘दूसरों को दोष दे रहे’ हैं।
पलानीस्वामी ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘कच्चतिवु को 1974 में श्रीलंका को सौंप दिया गया था, जब द्रमुक सत्ता में थी। यह द्रमुक ही थी जिसने तमिलनाडु को धोखा दिया। लेकिन, मुख्यमंत्री अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए दूसरों को दोष दे रहे हैं।’’
प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके पलानीस्वामी ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान केंद्र में सत्ता साझा करते हुए द्रमुक ने इस संबंध में बहुत कम काम किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे ही हैं जिन्होंने समस्या पैदा की है। वे ही हैं जो अब इसे दूसरी दिशा में मोड़ रहे हैं।’’
सदन में स्टालिन ने कहा कि हालांकि केंद्र ने मछुआरों को ‘निराश’ किया है, लेकिन उनकी सरकार उनके कल्याण के लिए प्रयास जारी रखेगी।
उन्होंने 150 करोड़ रुपये की लागत से रामेश्वरम के थंगाचिमदम में मछली पकड़ने के बंदरगाह समेत कई योजनाओं की घोषणा की। इनमें 7,000 लोगों को समुद्री शैवाल की खेती समेत प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम, 15,300 मछुआरों को मछली और मछली आधारित मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण, 14,000 लाभार्थियों को मशरूम की खेती और पर्यटक नाव संचालन के लिए 53 करोड़ रुपये की लागत से प्रशिक्षण देना शमिल है।
उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों के समन्वय और निगरानी के लिए एक परियोजना निगरानी इकाई स्थापित की जाएगी।
पिछले सप्ताह, तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र से आग्रह किया गया था कि वह तमिलनाडु के मछुआरों के पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों की रक्षा के लिए स्थायी समाधान के रूप में 1974 और 1976 में समझौतों के माध्यम से भारत द्वारा श्रीलंका को सौंपे गए कच्चातिवु द्वीप को वापस ले।
सदन ने प्रधानमंत्री से यह भी आग्रह किया था कि वह जब श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर हों तब वह वहां की सरकार के साथ बातचीत करके राज्य के सभी बंदी मछुआरों को, उनकी नावों के साथ सद्भावना के आधार पर रिहा करवाएं ।
भाषा रंजन