अंतिम सांस तक लड़ूंगी : ममता ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों को राहत देने का संकल्प लिया
वैभव माधव
- 07 Apr 2025, 05:47 PM
- Updated: 05:47 PM
कोलकाता, सात अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद स्कूली नौकरी गंवाने वाले पात्र उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प सोमवार को जताया और कहा कि वह अंतिम सांस तक उनके लिए लड़ती रहेंगी, चाहे जेल जाना पड़े।
बनर्जी ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद स्कूलों की नौकरी गंवाने वाले लोगों के साथ यहां नेताजी इनडोर स्टेडियम में एक बैठक में प्रभावित शिक्षकों और अन्य कर्मियों से अपने-अपने स्कूल जाने और स्वैच्छिक तरीके से फिर से काम करने का आग्रह किया।
उन्होंने एक भावनात्मक संदेश में कहा, ‘‘अगर मुझे जेल भी जाना पड़ा तब भी मैं यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ती रहूंगी कि किसी पात्र उम्मीदवार को नौकरी से वंचित नहीं रखा जाए। जब तक मैं जीवित रहूंगी....यह मेरा वादा है।’’
बनर्जी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले से प्रभावित शिक्षक और गैर शिक्षण कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘किसी को अभी तक निष्कासन पत्र नहीं मिला है। इसलिए अपना काम करते रहिए। आप इस बीच स्वैच्छिक सेवा देने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को ‘त्रुटिपूर्ण और दागदार’ बताया था। इन कर्मचारियों का चयन 2016 में राज्य स्कूल सेवा आयोग के एक भर्ती अभियान के माध्यम से चुना गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य प्रशासन पहले शीर्ष अदालत से स्पष्टीकरण का अनुरोध करेगा, और जरूरत पड़ी तो पुनर्विचार याचिका दायर करेगा ताकि पात्र उम्मीदवारों के हितों की रक्षा हो सके।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर स्पष्टीकरण हमारे पक्ष में नहीं आया तो हम दो महीने के अंदर वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। कोई पात्र अभ्यर्थी बेरोजगार नहीं होगा। सरकार ने कोई निष्कासन पत्र नहीं भेजा है। आप स्वैच्छिक तरीके से पढ़ाना जारी रख सकते हैं।’’
ममता ने कहा, ‘‘अब स्कूलों को कौन देखेगा? अन्य सारे कार्यों से कौन निपटेगा? अगर कोई नौकरी देने की स्थिति में नहीं है तो उसे उन्हें लेने का अधिकार भी नहीं होना चाहिए।’’
हालांकि बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार शीर्ष अदालत की व्यवस्था का सम्मान करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम उच्चतम न्यायालय की अवमानना नहीं कर रहे। हम पूरी तरह कानूनी रूपरेखा के दायरे में कार्रवाई करेंगे। लेकिन मैं कहूंगी कि प्रशासन को गलतियों को सुधारने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।’’
ममता बनर्जी ने अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, राकेश द्विवेदी, कल्याण बनर्जी और प्रशांत भूषण जैसे अधिवक्ताओं की एक टीम बनाने की भी घोषणा की जो न्यायालय में राज्य और प्रभावित अभ्यर्थियों का पक्ष रखेगी।
उन्होंने शिक्षकों से कहा, ‘‘आप निश्चिंत होकर पढ़ाना जारी रखें। अगर आपने अभी दो महीने परेशानी सह ली तो अगले 20 साल तक दिक्कत नहीं आएगी।’’
बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने योग्य लोगों की सेवा में किसी भी तरह की बाधा को रोकने के लिए योजना तैयार की है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन लोगों के साथ खड़ी रहूंगी जिन्होंने अन्यायपूर्ण तरीके से अपनी नौकरी खो दी है। मुझे परवाह नहीं है कि दूसरे क्या सोचते हैं। मैं आपकी गरिमा को बहाल करने के लिए सब कुछ करूंगी।’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं उन लोगों के साथ खड़ी रहूंगी जिनके साथ अन्याय हुआ है। मुझे परवाह नहीं है कि दूसरे क्या सोचते हैं। मैं आपका सम्मान वापस दिलाने के लिए सब कुछ करूंगी।’’
बनर्जी ने दोहराया कि राज्य सरकार न्यायालय के फैसले का सम्मान करती है और प्रशासन ‘अत्यंत सावधानी और निष्पक्षता’ के साथ स्थिति को संभालने के लिए सक्रियता से कदम उठा रहा है।
ममता बनर्जी ने लोगों की “नौकरियां बहाल करने” के लिए दो चरण की योजना बताई, जिनकी नियुक्तियां शीर्ष अदालत ने रद्द कर दी थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण में हम पात्र उम्मीदवारों का ब्योरा देखेंगे और उनकी खोई नौकरी उन्हें लौटाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे। दूसरे चरण में हम तथाकथित दागी उम्मीदवारों के मामले उठाएंगे। हम इस बात की गहराई से जांच करेंगे कि उन्हें ‘अयोग्य’ करार क्यों दिया गया, किस आधार पर उन्हें दागी पाया गया और जांच कैसे की गई जिसमें उन्हें दोषी पाया गया। मैं उनके साथ अलग से बैठक करुंगी।’’
बनर्जी ने प्रभावित शिक्षकों से कहा कि वे अपनी नौकरी करते समय सरकार पर भरोसा रखें और ‘पात्र’ तथा ‘दागदार’ उम्मीदवारों के बीच कोई टकराव नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह दावा भी किया कि उनका नाम किसी ऐसी चीज में घसीटा जा रहा है जिसके बारे में “मुझे कोई जानकारी नहीं है’’। उन्होंने स्कूली नौकरियों में नियुक्ति संबंधी विसंगतियों का जिक्र करते हुए यह बात कही।
बनर्जी ने कहा, “अगर कोई मुझे स्कूल की नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़े होने के लिए सजा देना चाहता है तो मैं जेल जाने के लिए भी तैयार हूं।”
उन्होंने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, “पूरी शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। कुछ लोग एक गंदा खेल खेल रहे हैं।”
भाषा वैभव