गोवा की अस्थिर राजनीति में स्थिरता लाने में भाजपा सफल रही
आशीष नरेश
- 06 Apr 2025, 07:44 PM
- Updated: 07:44 PM
(रूपेश सामंत)
पणजी, छह अप्रैल (भाषा) हाशिए की पार्टी माने जाने से लेकर गोवा का सत्तारूढ़ दल बनने तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वर्षों के अपने राजनीतिक सफर में ना केवल अपना जनाधार बढ़ाया बल्कि राज्य को सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला मुख्यमंत्री भी दिया है।
भाजपा रविवार को अपना स्थापना दिवस मना रही है। इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने याद दिलाया कि राज्य में भाजपा की यात्रा जमीनी स्तर पर दिवंगत मनोहर पर्रिकर सहित इसके वरिष्ठ नेताओं की दृढ़ता और कड़ी मेहनत का परिणाम रही है।
गोवा में कई वर्षों तक राजनीतिक अस्थिरता देखी गई, लेकिन मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य में एक स्थिर सरकार प्रदान करने के लिए अपने पार्टी सहयोगियों और राजनीतिक विश्लेषकों से प्रशंसा अर्जित की है। सावंत अब राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री हैं।
भाजपा की स्थापना 1980 में तत्कालीन भारतीय जनसंघ के नेताओं ने की थी। जनसंघ ने आपातकाल के बाद 1977 के चुनावों में कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए अन्य विपक्षी दलों के साथ विलय करके जनता पार्टी का गठन किया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद पर्वतकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब हम राज्य में भाजपा का जनाधार बढ़ाने के लिए घूमते थे, तो हमारा मजाक उड़ाया जाता था। वे (लोग) हमें ‘भाजी पाव’ पार्टी कहते थे। जब हम पार्टी की विचारधारा का प्रचार करने लोगों के घर जाते थे तो कई लोग हमें बैठने तक की जगह नहीं देते थे।’’
पर्वतकर ने कहा, ‘‘हमेशा एक सवाल पूछा जाता था...गोवा में हमें एक और पार्टी की क्या जरूरत है, जब महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) पहले से ही राज्य में मौजूद है?’’
एमजीपी का गठन 1961 में गोवा के पुर्तगाली शासन से मुक्ति के बाद हुआ था और इसने लगभग 18 वर्षों तक राज्य पर शासन किया। इसके नेता दयानंद बंदोदकर राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे।
पर्वतकर ने कहा कि राज्य में लोगों को भाजपा की विचारधारा को स्वीकार करने में समय लगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के पिता पांडुरंग सावंत ने कहा, ‘‘जनता पार्टी भारत में स्थापित हो रही थी और उसी समय गोवा में नेता राज्य में कार्यकर्ताओं का नेटवर्क बनाने में व्यस्त थे।’’
उस समय एक खनन कंपनी में कार्यरत पांडुरंग सावंत 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पहले 30 उम्मीदवारों में से एक थे।
पांडुरंग ने याद करते हुए कहा, ‘‘मैं जीत तो नहीं सका, लेकिन मुझे लगा कि गोवा में एक वैकल्पिक पार्टी की जरूरत है। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर 30 में से तीन उम्मीदवार जीते थे।’’
डॉ. जैक सेक्वेरा (सेंट क्रूज), माधव बीर (पणजी) और फर्डिन रेबेलो (कुंकोलिम) ने चुनाव जीता।
पांडुरंग सावंत ने कहा कि इस चुनाव ने लोगों को राज्य में एक वैकल्पिक पार्टी के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।
भाजपा ने सबसे पहले 1984 और फिर 1989 में गोवा में चुनाव लड़ा, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली। काशीनाथ परब भाजपा की गोवा इकाई के पहले प्रमुख थे।
हालांकि, गोवा की राजनीति ने तब नया मोड़ लिया जब 1994 में भाजपा ने 40 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए एमजीपी के साथ गठबंधन किया।
भाजपा ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीतीं, जिनमें पर्रिकर (पणजी), दिगंबर कामत (मडगांव), नरहरि हलदनकर (सत्तारी) और श्रीपद नाइक (मरकाइम) विजयी हुए।
हलदनकर ने कहा, ‘‘मुझे अब भी याद है कि जब हम भाजपा के टिकट पर जीते थे, तब पार्टी राज्य में प्रवेश कर रही थी। कोई सोच भी नहीं सकता था कि हम जीतेंगे। हमने पूरे दिन जश्न मनाया था।’’
गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हलदनकर ने कहा, ‘‘1990 का दशक वह समय था जब हमें कागज पर अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न बनाना पड़ता था और घर-घर जाकर लोगों को इसके लिए वोट देने के लिए राजी करना पड़ता था।’’
वह भाजपा की जीत का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) जैसे संगठनों को देते हैं।
पर्रिकर पर एक किताब लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार वामन प्रभु ने याद दिलाया कि किस तरह इन चार नेताओं, विशेषकर पर्रिकर के प्रदर्शन के कारण भाजपा राज्य में बेहतर प्रदर्शन कर सकी।
पर्रिकर पहली बार अक्टूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने थे।
पर्रिकर के 17 मार्च 2019 को निधन के बाद प्रमोद सावंत ने राज्य की कमान संभाली। 2022 का चुनाव सावंत के नेतृत्व में लड़ा गया जिसमें पार्टी ने 20 सीटें जीतीं।
भाषा आशीष