वन अधिकार अधिनियम के तहत एक तिहाई से अधिक दावे खारिज
जोहेब प्रशांत
- 06 Apr 2025, 05:25 PM
- Updated: 05:25 PM
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) भारत को इस साल 31 जनवरी तक वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत 51 लाख से अधिक दावे प्राप्त हुए हैं, जिनमें से एक तिहाई से अधिक को खारिज कर दिया गया है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
सबसे अधिक दावे छत्तीसगढ़ (9.41 लाख) में प्राप्त हुए, इसके बाद ओडिशा (7.2 लाख), तेलंगाना (6.55 लाख), मध्य प्रदेश (6.27 लाख) और महाराष्ट्र (4.09 लाख) का स्थान रहा।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में किए गए कुल दावों में से 66 प्रतिशत दावे इन पांच राज्यों में किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ खारिज किए गए दावों के मामले में भी शीर्ष पर है, जहां चार लाख से अधिक दावे खारिज किए गए हैं। मध्य प्रदेश ने 3.22 लाख से अधिक दावे खारिज किए हैं, उसके बाद महाराष्ट्र (1.72 लाख), ओडिशा (1.44 लाख) और झारखंड (28,107) का स्थान है।
वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के तहत आदिवासियों और वन-आश्रित समुदायों के उस भूमि पर अधिकारों को मान्यता दी गई है, जिस पर वे पीढ़ियों से रहते आए हैं और जिसकी वे रक्षा करते आए हैं। कानून के तहत व्यक्तिगत या सामुदायिक अधिकारों के लिए दावे किए जा सकते हैं।
नीति विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि एफआरए के कार्यान्वयन में उल्लंघनों की भरमार रही है, तथा बड़ी संख्या में दावों को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया है।
एक वन्यजीव एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 2019 में उच्चतम न्यायालय ने 17 लाख से अधिक परिवारों को बेदखल करने का आदेश दिया, जिनके एफआरए दावे खारिज कर दिए गए थे।
देशव्यापी विरोध के बाद, अदालत ने फरवरी 2019 में आदेश पर रोक लगा दी थी और खारिज किए गए दावों की समीक्षा करने का निर्देश दिया। हालांकि, कई आदिवासी और वन-आश्रित समुदायों का आरोप है कि समीक्षा प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण बनी हुई है, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून को ईमानदारी से लागू करने में विफल रही हैं।
हालांकि, कई आदिवासी और वन-आश्रित समुदायों का आरोप है कि समीक्षा प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण बनी हुई है, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून को ईमानदारी से लागू करने में विफल रही हैं।
आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में दायर किए गए दावों में से आधे से अधिक खारिज कर दिए गए।
राज्य ने प्राप्त 6.27 लाख दावों में से 6.17 लाख का निपटारा किया और निपटान की दर 98.37 प्रतिशत रही।
राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त 51.03 लाख में से 43.57 लाख से अधिक दावों का निपटारा किया गया है, लिहाजा निस्तारण दर 85.38 प्रतिशत रही। हालांकि, केवल 24.98 लाख दावों पर गौर किया गया, जो कुल दावों की संख्या के आधे से भी कम हैं।
ओडिशा, केरल, त्रिपुरा, झारखंड और गुजरात उन राज्यों में शामिल हैं, जहां प्राप्त दावों की संख्या की तुलना में मंजूर दावों का अनुपात सबसे अधिक है।
भाषा
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