द्रमुक समर्थित जेएसी ने केंद्र से परिसीमन 25 साल और स्थगित करने की मांग की
धीरज पारुल
- 22 Mar 2025, 11:39 PM
- Updated: 11:39 PM
चेन्नई, 22 मार्च (भाषा) तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व में गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की शनिवार को हुई पहली बैठक में कहा गया कि जनसंख्या के आधार पर प्रस्तावित परिसीमन की प्रक्रिया दक्षिणी राज्यों के लिए ‘‘निष्पक्ष’’ नहीं होगी।
जेएसी ने मांग की कि केंद्र को अगले 25 साल तक 1971 की जनगणना के आधार पर ही संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना चाहिए। समिति ने चालू संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया।
बैठक में परिसीमन निर्धारित करने के ‘जनसंख्या’ के मानदंड के खिलाफ लड़ने के लिए एक राजनीतिक आम सहमति भी बनी, ताकि ‘निष्पक्ष परिसीमन’ सुनिश्चित हो और दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम न हो।
बैठक में तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, एक उपमुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), बीजू जनता दल (बीजद) और द्रमुक सहित 14 दलों के नेता इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने के लिए शामिल हुए। अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनकी पार्टी द्रमुक के लिए यह एक बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है।
स्टालिन ने कहा, ‘‘अगली जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का आगामी या भविष्य में होने वाला जनसंख्या-आधारित परिसीमन कुछ राज्यों को बहुत प्रभावित करेगा। हम सभी को पूरी तरह आश्वस्त होना चाहिए कि वर्तमान जनसंख्या के आधार पर परिसीमन को स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’
स्टालिन ने यह भी कहा कि कानूनी विकल्प पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने राजनीतिक और कानूनी कार्य योजना तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का समर्थन किया।
बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बिना किसी परामर्श के इस मुद्दे पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि लोकसभा सीटों के परिसीमन की तलवार लटक रही है।
विजयन ने कहा, ‘‘अचानक उठाया गया यह कदम संवैधानिक सिद्धांतों या लोकतांत्रिक अनिवार्यताओं से प्रेरित नहीं है, बल्कि संकीर्ण राजनीतिक हितों से प्रेरित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर जनगणना के बाद परिसीमन किया जाता है, तो उत्तरी राज्यों की सीटों में बढ़ोतरी होगी, जबकि दक्षिणी राज्यों की सीटों में कमी आएगी। दक्षिण के लिए सीटों में कटौती और उत्तर के लिए सीटों में बढ़ोतरी भाजपा के लिए फायदेमंद होगी, क्योंकि उत्तर में उसका जनाधार अधिक है।’’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में स्टालिन पर परिसीमन के मुद्दे को लेकर ‘‘भ्रामक सूचना’’ फैलाने का आरोप लगाया था और आश्वासन दिया था कि दक्षिणी राज्य ‘‘एक भी संसदीय सीट नहीं गंवाएंगे।’’
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि द्रमुक हिंदी को कथित तौर पर थोपने और परिसीमन जैसे ‘भावनात्मक’ मुद्दे उठा रही है, क्योंकि उसके पास अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान लोगों के सामने अपनी उपलब्धियों के तौर पर पेश करने के लिए कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा सीट निर्धारण के लिए जनसंख्या ही एकमात्र विचारणीय बिंदु नहीं है और यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि लद्दाख और लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद भी मौजूद हैं, जिनकी जनसंख्या जाहिर तौर पर कम है।
सीतारमण ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के द्रमुक की ओर से बुलाई बैठक में शामिल होने पर आश्चर्य जताया। उन्होंने सवाल किया कि क्या स्टालिन ने संबंधित नेताओं के साथ मुल्लापेरियार बांध विवाद और कावेरी नदी विवाद का मुद्दा उठाया।
हालांकि, द्रमुक ने इस बैठक को आजाद भारत के इतिहास में ‘ऐतिहासिक’ करार दिया, जिसमें तमिलनाडु सहित सात राज्य और 14 राजनीतिक दल शामिल हुए।
पार्टी ने कहा, ‘‘द्रमुक अध्यक्ष (स्टालिन) राष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय कर रहे हैं। जेएसी का प्रस्ताव दिल्ली में राजनीतिक भूचाल पैदा कर रहा है।’’
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया कि अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है, तो ‘‘दक्षिण भारत अपनी राजनीतिक आवाज खो देगा और उत्तर हमें दोयम दर्जे का नागरिक बना देगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘...हम जनसंख्या के आधार पर परिसीमन को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि तब उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्य देश के बाकी हिस्सों पर हावी हो जाएंगे। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते।’’
भाजपा की तमिलनाडु इकाई के नेता द्रमुक सरकार के खिलाफ विरोध जताने के लिए काले झंडे थामकर अपने घरों के सामने खड़े हुए।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि इस विरोध-प्रदर्शन का मकसद द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन द्वारा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सहयोगियों का ‘‘लाल कालीन बिछाकर स्वागत’’ करने के कदम की निंदा करना है, जो ‘‘कावेरी और मुल्लई पेरियार मुद्दे पर तमिलनाडु के किसानों को लगातार धोखा दे रहे हैं।’’
भाजपा की वरिष्ठ नेता तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने बैठक की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि यह लोगों को धोखा देने के लिए अभी तक घोषित नहीं किए गए परिसीमन पर आधारित एक बैठक थी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने आश्चर्य जताया कि क्या परिसीमन प्रक्रिया वास्तव में शुरू हो गई है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया कि केंद्र दक्षिणी राज्यों का संसदीय प्रतिनिधित्व कम करने की योजना बना रहा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा उन राज्यों में सीटें बढ़ाना चाहती है, जहां वह जीतती है और उन राज्यों में सीटें कम करना चाहती है, जहां वह हारती है। पंजाब में भाजपा नहीं जीतती। उसके पास (राज्य की मौजूदा) 13 सीट में से एक भी नहीं है। ’’
मान ने दावा किया कि ‘‘दक्षिण को नुकसान हो रहा है’’ और पूछा कि क्या दक्षिणी राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए दंडित किया जा रहा है।
आंध्र प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को हालांकि बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसने परिसीमन पर हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर परिसीमन की प्रक्रिया को इस तरह से करने की अपील की, जिससे किसी भी राज्य के प्रतिनिधित्व में कोई कमी न आए।
इस बीच, सोशल मीडिया पर बैठक के लिए नेताओं को आमंत्रित करने की प्रक्रिया पर कई सवाल उठाए गए। एक उपयोगकर्ता ने सवाल किया, ‘‘अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी (सपा) और बिहार के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को क्यों नहीं बुलाया गया?’’
कई उपयोगकर्ताओं ने दावा किया कि केवल पंजाब को आमंत्रित करने और हरियाणा के विपक्षी नेताओं और यहां तक कि हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को छोड़ देने का कारण विरोधाभास और सत्ता की राजनीति है।
भाषा धीरज