कभी नहीं कहा कि वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने से पहले उनका साक्षात्कार लिया जाए: इंदिरा जयसिंह
धीरज नेत्रपाल
- 20 Mar 2025, 08:43 PM
- Updated: 08:43 PM
नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायाय में वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने के लिए साक्षात्कार आयोजित करने के निर्देश का विरोध किया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की विशेष पीठ ने शीर्ष अदालत प्रशासन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश मांगने वाली इंदिरा जयसिंह सहित कई वकीलों की दलीलें सुनीं।
शीर्ष अदालत ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस बात पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने की प्रक्रिया पर 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
जयसिंह ने कहा कि उन्होंने कभी यह सुझाव नहीं दिया कि वरिष्ठ का दर्जा प्रदान करने के लिए वकीलों का साक्षात्कार होना चाहिए और फिर भी फैसले में यह निर्धारित किया गया तथा इसके अलावा, साक्षात्कार के लिए 25 अंक भी निर्धारित कर दिए गए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने साक्षात्कार का सुझाव नहीं दिया था। फिर जब फैसला सुनाया गया तो मैंने विद्वान न्यायाधीश को इसे पढ़ते हुए सुना और कहा कि साक्षात्कार के लिए 25 अंक होंगे। मैंने कभी 25 अंकों का सुझाव नहीं दिया। यह काफी बड़ा है। मैं यह निर्णय अदालत पर छोड़ती हूं कि 25 अंकों का क्या करना है...।’’
जयसिंह ने विभिन्न विदेशी देशों में अपनाई गई प्रक्रियाओं का भी उल्लेख किया।
मेहता ने हालांकि कहा, ‘‘हर देश के अपने-अपने मुद्दे होते हैं। दूसरे देशों में प्रचलित प्रणालियों में जाने के बजाय, भारतीय न्यायशास्त्र का पुनः भारतीयकरण करने का समय आ गया है।’’
जयसिंह ने कहा कि वकीलों को वरिष्ठ पदनाम देने के लिए गुप्त मतदान प्रणाली का पालन किया जाए या नहीं, इस पर निर्णय पूर्ण न्यायालय को लेना है, तथा इसका निर्णय न्यायिक पक्ष द्वारा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘वरिष्ठ अधिवक्ता का पदभार ग्रहण करना कोई चुनाव नहीं है, इसलिए गुप्त मतदान होना चाहिए या नहीं, इस पर पूर्ण न्यायालय को विचार करना चाहिए।’’
मेहता ने 19 मार्च को कहा कि वकीलों को वरिष्ठ पदनाम देने की प्रक्रिया पर 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
पीठ वरिष्ठ पदनाम प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जैसा कि जयसिंह की याचिका पर दो फैसलों में परिकल्पित किया गया था।
पहला फैसला पूर्व न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 12 अक्टूबर, 2017 को सुनाया था। पीठ ने वकीलों को वरिष्ठ होने का दर्जा देने के लिए प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति गठित करने सहित कई दिशानिर्देश जारी किए।
इसके बाद दूसरा फैसला आया और अब पीठ यह तय करेगी कि पिछले निर्देशों में बदलाव की जरूरत है या नहीं।
भाषा धीरज