तेलंगाना सुरंग हादसा : रोबोट की तैनाती से फंसे हुए श्रमिकों की तलाश तेज होगी
पारुल अमित
- 12 Mar 2025, 10:58 PM
- Updated: 10:58 PM
(तस्वीरों के साथ)
नगरकुरनूल, 12 मार्च (भाषा) तेलंगाना के नगरकुरनूल में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना की सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके अंदर फंसे सात लोगों की तलाश में रोबोट की तैनाती से तेजी आएगी। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि हैदराबाद की एक कंपनी बुधवार को एक ‘स्वचालित हाइड्रोलिक रोबोट’ लेकर मौके पर पहुंची, जो खुदाई करने और मलबा हटाने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि रोबोट सुरंग के भीतर उन “खतरनाक जगहों” पर जा सकता है, जहां इंसान नहीं पहुंच सकते और यह इंसानों के मुकाबले 15 गुना ज्यादा क्षमता के साथ काम कर सकता है।
अधिकारियों के मुताबिक, तलाश अभियान में आने वाली मुश्किलों को दूर करने और इसकी रफ्तार में तेजी लाने के लिए रोबोट का सहारा लिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सुरंग के अंदर की स्थितियां बहुत चुनौतीपूर्ण हैं और मलबे, मिट्टी के ढेर तथा ऑक्सीजन के निम्न स्तर के कारण अभियान में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, ‘स्वचालित हाइड्रोलिक रोबोट’ की मदद से 40 एचपी पंप का इस्तेमाल करके कीचड़ हटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि रोबोट प्रति घंटे 5,000 क्यूबिक मीटर मिट्टी हटा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के 12 संगठनों के कर्मचारी दिन-रात सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की तलाश कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि तलाश अभियान की निगरानी कर रहे राज्य के विशेष मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने इसमें शामिल विभिन्न संगठनों के अधिकारियों के साथ बैठक की।
अधिकारियों के मुताबिक, हादसे में जान गंवाने वाले टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) संचालक गुरप्रीत सिंह का शव बुधवार को पंजाब में उनके पैतृक गांव में उसकी पत्नी को सौंप दिया गया।
सिंह का शव नौ मार्च को सुरंग के अंदर बरामद किया गया था। तेलंगाना सरकार की ओर से घोषित 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी सिंह के परिवार को प्रदान कर दी गई।
एसएलबीसी परियोजना की आंशिक रूप से ढही सुरंग में फंसे सात लोगों की तलाश के लिए खोज अभियान बुधवार को 19वें दिन भी जारी रहा।
एसएलबीसी परियोजना सुरंग में 22 फरवरी को हुए हादसे में इंजीनियर और मजदूरों समेत आठ लोग फंस गए थे। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारतीय सेना, नौसेना तथा अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञ उन्हें निकालने की कोशिशों में जुटे हैं।
भाषा पारुल