रेल मंत्री को आईआरसीटीसी से टिकट बुक कराने से ज्यादा आसान आईआईटी की परीक्षा लगेगी: आप सदस्य
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र अविनाश
- 12 Mar 2025, 05:37 PM
- Updated: 05:37 PM
नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को एक सदस्य ने रेलवे का टिकट ऑनलाइन बुक करने में लोगों को होने वाली असुविधाओं के मद्देनजर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर कटाक्ष किया और कहा कि वह भी यदि आईआरसीटीसी से टिकट बुक कराने का प्रयास करें तो उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की परीक्षा आसान लगेगी।
वैष्णव आईआईटी कानपुर के छात्र रहे हैं और पूर्व में आईएएस (भारतीय प्रशासनिक अधिकारी) भी रहे हैं।
राज्यसभा में रेल मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में भाग लेते हुए आम आदमी पार्टी (आप) सदस्य अशोक कुमार मित्तल ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) की पोर्टल से नासा के एक वैज्ञानिक का टिकट बुक कराने का अनुभव साझा किया।
मित्तल ने कहा कि उनकी प्रतिक्रिया यह थी कि अगर उन्हें एक रॉकेट ‘लॉन्च’ करना हो तो बस एक ‘कमांड’ देनी पड़ती है लेकिन यदि उन्हें भारतीय रेलवे की टिकट बुक करनी हो तो चार ‘कैप्चा’ (एक डिजिटल सुरक्षा प्रणाली), दो ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) और पीएचडी करने जितना धैर्य चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री जी खुद आईआईटी से हैं। यदि वह टिकट बुक कराएं तो शायद उन्हें आईआईटी की प्रवेश परीक्षा आसान लगेगी। वह आईएएस भी हैं। तो आईएएस में जितना आसान चांस होता है पास होने का, उससे कम चांस होता है रेलवे की वेटिंग टिकट कंफर्म होने का।’’
आप सदस्य ने कहा कि राजधानी सबसे लंबी ट्रेन मानी जाती है लेकिन उससे भी लंबी रेलवे के ‘वेटिंग लिस्ट’ की कतार होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘आईआरसीटीसी का सर्वर तो इतना नाजुक है कि वह सेंसेक्स से भी ज्यादा बार क्रैश करता है।’’
आईआरसीटीसी भारतीय रेलवे में टिकट बुकिंग से लेकर खानपान और पर्यटन सेवाएं देने वाला, रेलवे विभाग का सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
उन्होंने रेलवे किराए और सुविधाओं को लेकर भी सरकार की आलोचना की।
मित्तल ने नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे का भी उल्लेख किया और कहा कि अभी तक इसके लिए किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के रामजी लाल सुमन ने कोरोना महमारी काल में बंद की गई रेलगाड़ियों का परिचालन और ठहराव फिर से आरंभ करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि रेलवे अमीरों का ख्याल तो रखता है लेकिन उस अनुपात में जो ख्याल गरीबों का रखना चाहिए वह नहीं रख रहा है।
जनता दल (यूनाईटेड) के संजय झा ने कहा कि महाकुंभ के दौरान सिर्फ बिहार के मिथिला क्षेत्र से एक करोड़ लोगों ने यात्रा की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में रेलवे ने जो काम किया है वह अभूतपूर्व था।
झा ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि एक पूर्व रेल मंत्री को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी बुलाया गया था, जिनके खिलाफ ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में मुकदमा चल रहा है और वह जमानत पर हैं।
कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि 2004 के बाद मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति 51.1 किलोमीटर प्रति घंटा, पैसेंजर ट्रेनों की 35.1 किमी प्रति घंटा और मालगाड़ियों की औसत गति 23 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है।
उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेनों के 160 से 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने का दावा किया गया था लेकिन वास्तव में वह भी 60-70 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चल रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह इस सरकार के रफ्तार की गति है।’’
हुसैन ने कहा कि यह सरकार सामान्य रेलगाड़ियों में सफर करने वाली 95 प्रतिशत आबादी को नजरअंदाज कर रही है और हाई स्पीड ट्रेनों में सफर करने वाले पांच प्रतिशत लोगों पर ध्यान केंद्रित करती है।
उन्होंने दावा किया कि जब भी किसी ट्रेन का उद्घाटन किया जाता है तो ‘‘प्रधानमंत्री झंडा लेकर पहुंच जाते हैं’’ जबकि एक समय ऐसा था कि जब तत्कालीन रेल मंत्री जगजीवन राम ने रेल भवन के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को बुलाया था तो उन्होंने मना कर दिया था और जगजीवन राम से ही इसका उद्घाटन करने को कहा था।
हुसैन ने कहा कि साल 2017 में घोषणा की गई थी कि 2022 में बुलेट ट्रेन आएगी लेकिन अब तक इसकी कोई खोज-खबर नहीं है।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि रेलवे की स्थायी समिति में यह सवाल उठाया गया तो न ही रेल मंत्री और न ही रेलवे मंत्रालय के पास कोई जवाब था।
उन्होंने कहा कि सरकार चीन के एप्स पर प्रतिबंध की बात करती है लेकिन वंदे भारत सहित अधिकांश हाई स्पीट ट्रेनों के व्हील और एक्सल चीन से खरीद रही है।
उन्होंने रेल मंत्री से आग्रह किया कि कोरोना से पहले जिन वरिष्ठ नागरिकों और मीडियाकर्मियों सहित अन्य लोगों को रेलवे में रियायत दी जाती थी उसे तत्काल बहाल किया जाए।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र