राज्यसभा में ‘डुप्लीकेट’ मतदाता फोटो पहचान पत्र का उठा मुद्दा, विपक्ष ने की जांच और चर्चा की मांग
ब्रजेन्द्र माधव
- 12 Mar 2025, 12:43 PM
- Updated: 12:43 PM
नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी दलों ने मतदाता पहचान पत्र क्रमांक संख्या में दोहराव का मुद्दा उठाया गया और निर्वाचन आयोग से इस ‘गड़बड़ी’ की जांच करने तथा तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा ने शून्यकाल के तहत इस मुद्दे का उठाते हुए कहा कि यह एक प्रश्न ऐसा है जो पिछले कुछ वर्षों से ना सिर्फ राजनीतिक दलों को बल्कि आम नागरिक को भी उद्वेलित कर रहा है।
इससे पहले, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने मतदाता फोटो पहचान पत्र के दोहराव वाले अनुक्रमांक (ईपीआईसी) के मुद्दे पर नियम 267 के तहत उच्च सदन में तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग की थी लेकिन उपसभापति हरिवंश ने इससे संबंधित सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने जिस ईपीआईसी के मुद्दे पर नोटिस दिए हैं, उसी मुद्दे को अन्य माध्यमों से उठाने के लिए भी नोटिस दिए गए हैं और उन्हें स्वीकार भी किया गया है।
इस पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसके लिए सिर्फ तीन मिनट अपर्याप्त हैं। ज्ञात हो कि शून्यकाल के तहत मुद्दे उठाने के लिए एक सदस्य को तीन मिनट का समय दिए जाने का प्रावधान है।
डेरेक ने कहा कि यदि आसन को नियम 267 के तहत चर्चा कराया जाना स्वीकार नहीं है तो वह नियम 176 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा कराए। उनकी इस मांग का कई विपक्षी दलों ने समर्थन किया।
नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है। नियम 176 किसी विशेष मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देता है, जो ढाई घंटे से ज्यादा नहीं हो सकती।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने चुनावों को लोकतंत्र की आत्मा बताया और कहा कि यह निष्पक्ष होना चाहिए लेकिन अब इस पर सवाल उठ रहे हैं।
इसके बाद राजद के झा ने शून्यकाल के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, ‘‘यह एक प्रश्न ऐसा है जो बीते कुछ महीनों से या यू कहूं तो कुछ वर्षों से ना सिर्फ राजनीतिक दलों को बल्कि आम नागरिक को भी उद्वेलित कर रहा है।’’
अनुच्छेद 324 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाने और सभी के लिए समान अवसर प्रदान किए जाए जैसी दो महत्वपूर्ण बातें हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराया जाना महज एक खोखली इबारत नहीं है। इसके पीछे भाव है, इसके पीछे दर्शन है। हाल के दिनों में ईपीआईसी कार्ड के डुप्लीकेशन को लेकर जो चीजें हो रही हैं, वह सबके लिए चिंता का विषय है।’’
झा ने कहा कि ईपीआईसी का कई दफा सीमावर्ती राज्यों में दोहराव हो रहा है और इसकी संख्या लाखों में है, जिसकी वजह से चुनाव की निष्पक्षता से समझौता हो रहा है।
उन्होंने कहा कि ईपीआईसी कार्ड के पहले तीन अक्षर विधानसभा क्षेत्र को चिह्नित करते हैं लेकिन ऐसा पाया गया है कि उसी राज्य की दूसरी विधानसभा में वह तीन अक्षरों की पुनरावृत्ति होती है और अलग-अलग राज्यों में भी होती है।
राजद सदस्य ने कहा, ‘‘यह जो संसद है...यह लोकतंत्र की इमारत है और लोकतंत्र चुनाव से जिंदा है। अगर चुनाव की पद्धति और प्रक्रियाओं से समझौता होगा, उसमें से गड़बड़ी की बू आएगी तो कुछ भी नहीं बचेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि सदन की ओर से एक संदेश जाए...डुप्लीकेट ईपीआईसी किस स्तर तक फैला है, इसकी जांच की जाए कि यह गड़बड़ी कहां से हो रही है और सुधारात्मक उपाय हो।’’
झा ने इसके साथ-साथ निर्वाचन आयोग से मतदाता सूची से नाम हटाए जाने वालों, उसमें नए नाम जोड़े जाने वालों और इसमें किए गए सुधारों के लिए अलग सूची जारी करने की भी मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह इतने गंभीर प्रश्न हैं कि इनके जवाब सस्ती शायरी नहीं हो सकते। गंभीर सवाल के जवाब गंभीरता से देने चाहिए ना कि ट्रकों के पीछे लिखी शायरी पढ़ कर।’’
झा का इशारा पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की ओर था।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष दल संसद सत्र की शुरुआत से ही विभिन्न राज्यों में मतदाता पहचान पत्र संख्या के दोहराव का मुद्दा उठाने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया है।
विपक्षी दल लगातार यह मांग भी कर रहे हैं कि निर्वाचन आयोग प्रत्येक नई संशोधित मतदाता सूची के साथ जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए, नाम जोड़ गए हैं या संशोधन किये गए है, उनकी सूची भी जारी की जाए।
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