विधेयक के अंग्रेजी नाम पर द्रमुक सदस्य ने जताया संतोष, सरकार से नाम नहीं बदलने को कहा
वैभव सुभाष वैभव माधव
- 10 Mar 2025, 04:27 PM
- Updated: 04:27 PM
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) द्रमुक के के. वीरासामी ने पोत परिवहन क्षेत्र से संबंधित एक विधेयक के अंग्रेजी नाम पर संतोष जताते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा कि अब इस विधेयक का नाम बदलकर हिंदी या संस्कृत में नहीं किया जाना चाहिए।
वीरसामी ने लोकसभा में वहन-पत्र विधेयक, 2024 (लैडिंग बिल 2024) पर सदन में चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस सरकार में विधेयकों का केवल हिंदी नाम रखने की परिपाटी बन गई है, ऐसे में इस विधेयक का नाम अंग्रेजी में रखा गया है, यह अच्छी बात है।
उन्होंने कहा कि अब सरकार अन्य विधेयकों के नाम की तरह भविष्य में इसका नाम बदलकर हिंदी या संस्कृत में नहीं करे।
जब उन्होंने कहा कि शायद इस विधेयक के लिए शब्दकोश में कोई हिंदी शब्द नहीं मिला होगा, तो पीठासीन सभापति दिलीप सैकिया ने सांसद का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया कि हिंदी में भी विधेयक का नाम रखा गया है और यह ‘वहन-पत्र विधेयक’ है।
वीरासामी ने दावा किया कि विधेयक पर प्रस्तुतिकरण के समय कुछ अधिकारियों ने दावा किया था कि विधेयक में 1856 के कानून की तुलना में कोई नया प्रावधान नहीं है और केवल वर्ष बदला गया है।
पीठासीन सभापति सैकिया ने मंत्री से कहा कि इसकी जांच की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक को चर्चा के लिए रखते समय सोनोवाल ने विस्तार से तरह बताया कि विधेयक क्यों लाया गया है।
वीरासामी ने माल ढुलाई के लिए जलमार्गों को सड़क और रेलमार्ग से अधिक किफायती करार देते हुए कहा कि सरकार को राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजना को देश में सही तरह से लागू करना चाहिए जिससे उनके तमिलनाडु राज्य समेत अन्य प्रदेशों को लाभ मिलेगा।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए जद(यू) के आलोक कुमार सुमन ने विधेयक का समर्थन किया और अपने संसदीय क्षेत्र बिहार के गोपालगंज में नारायणी रिवर फ्रंट से माल ढुलाई का परिचालन शुरू करने की मांग की।
तेलुगु देशम पार्टी के एम सी भरत ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए देश में कंटेनर विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने माल ढुलाई पर लागत घटाने का भी आग्रह सरकार से किया।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जहाजरानी क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए देश में बड़े जहाजों का निर्माण किये जाने की जरूरत बताई।
समाजवादी पार्टी के वीरेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक में व्यापारियों के माल की सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षति शुल्क के बहाने व्यापारियों का होने वाला शोषण खत्म किया जाए।
उन्होंने कहा कि माल को क्षति पहुंचने पर बीमा कंपनियां मुआवजा देने से कतराती हैं, इसलिए विधेयक में संशोधन करते हुए कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए कि बीमा कंपनियां समय सीमा के अंदर व्यापारियों को इसका भुगतान करें।
उन्होंने आरोप लगाया कि गंगा नदी में पोत परिवहन के लिए जनपद वाराणसी, मिल्कीपुर में करीब 3000 गरीब परिवारों को जबरन बेघर किया जा रहा है और उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा।
सिंह ने यह दावा भी किया कि वाराणासी से हल्दिया तक, बनाये जा पत्तनों के आसपास किसानों की जमीन पर सड़क बनाई जा रही है, लेकिन उन्हें ठीक तरीके से मुआवजा नहीं दिया जा रहा।
शिवसेना (उबाठा) के अरविंद सावंत ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन इसमें कुछ कमियों और व्यावहारिक समस्याओं की ओर भी सदन का ध्यान आकृष्ट किया।
उन्होंने कहा कि मुंबई बंदरगाह देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है, लेकिन उससे गाद हटाने का काम लंबे समय से नहीं किया गया है। उन्होंने मुंबई बंदरगाह को नजरअंदाज न करने और इसके पुनर्विकास पर ध्यान देने का आग्रह किया।
शिवसेना के रवीन्द्र दत्तराम वायकर ने कहा कि नये विधेयक का कानूनी ढांचा, माल के हस्तांतरण, दायित्व और जवाबदेही को स्पष्ट करता है।
उन्होंने कहा कि मुंबई और कोंकण के बीच जलमार्ग विकसित करने की जरूरत है, जिसकी लंबे समय से मांग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इससे कोंकण के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
राकांपा(एसपी) के भास्कर भगारे ने कहा कि ग्रामीण, छोटे व्यापारियों के पास डिजिटिल सुविधा नहीं है जो माल के आयात-निर्यात में एक अड़चन है। उन्होंने कहा कि विधेयक में निर्यात व्यवस्था में सुधार लाने का उपाय नहीं किया गया है और सरकार को विधेयक पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
कांग्रेस के विरियातो फर्नांडिस ने कहा कि विधेयक में पूरा मुद्दा जहाजरानी से जुड़ा हुआ है इसलिए जहाज निर्माण उद्योग का भारत में आधुनिकीकरण करने की जरूरत है।
उन्होंने प्रश्न किया कि क्या विधेयक में सभी हितधारकों को शामिल किया गया?
उन्होंने कहा कि 12 सदस्यीय शिपबिल्डिंग डिजाइन रिसर्च कमेटी में भारतीय पोत निर्माताओं को नहीं शामिल किया, लेकिन इससे असंबद्ध लोगों को इसमें शामिल किया गया।
भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि यह विधेयक देश को 50 साल आगे ले जाएगा। उन्होंने कहा कि विधेयक में माल भेजने वाले और माल प्राप्त करने वाले का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।
उन्होंने कोयले की अवैध ढुलाई का उदाहरण देते हुए कहा कि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि अवैध माल भेजने वाले को ही उसका मालिक माना जाएगा।
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